नॉर्वे, ओस्लो/ नई दिल्ली : दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की जा चुकी है। नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने 2022 में शांति पुरस्कार के लिए बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बालियात्स्की का नाम चुना है। इसके साथ ही रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेनी मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को यह पुरस्कार मिला है। गौरतलब है कि भारत से फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर और कि कि उसे अपने गांव के हर्ष मंदर, प्रतीक सिन्हा इस दौड़ में शामिल थे। लेकिन दोनों में से किसी को भी नोबल पुरस्कार नहीं मिला है।
द नोबेल प्राइज की ओर से कहा गया नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अपने देश में नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कई वर्षों तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए सत्ता की आलोचना की है। उन्होंने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक उत्कृष्ट प्रयास किया है। वहीं दूसरी ओर असम से राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने मानव अधिकार कर्मी एलेस को पुरस्कार देने पर खुशी जाहिर की है। उनका कहना था कि यह इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए बड़ी स्वीकृति है। रूस के करेलिया में पैदा हुए एलेस बीते तीन दशकों से बेलारुस में लोकतंत्र और आजादी के लिए कैम्पेन चला रहे हैं।
उन्होंने 1996 में मिंस्क में वायसन नामक मानवाधिकार संगठन की नींव रखकर राजनीतिक कैदियों की मदद के लिए काम करते हैं। सैकिया ने कहा की यह पुरस्कार निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को मानव सेवा की प्रति काम करने के लिए प्रेरित करेगी। उनका यह भी कहना था कि यह एक बार फिर साबित हो गया है कि जाति या धर्म से विश्व में शांति स्थापित नहीं हो सकती। मानव जीवन का मूल आधार ही मानवता है और इसके सहारे ही पूरे विश्व में शांति एवं भाईचारा का माहौल पैदा किया जा सकता है।