संयुक्त अरब अमीरात, अबू धाबी : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के उत्पादन बढ़ाने क संकेत से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में रिकॉर्ड स्तर से 18 फीसदी की गिरावट आई। इस गिरावट के ब्रेंट क्रूड करीब 114 डॉलर और अमेरिकी बेंचमार्क डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) 110 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
दरअसल रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे कच्चे तेल 7 मार्च को 14 साल के उच्च स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। आपूर्ति संकट के बीच यूएई के राजदूत ने कहा कि वह कच्चे तेल की कीमतों में तेजी को थामने के लिए उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में हैं। इस बयान के बाद ब्रेंट क्रूड 2.53 डॉलर या 2.28 फीसदी गिरकर 113.67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
डब्ल्यूटीआई 1.64 डॉलर या 1.51फीसदी सस्ता होकर 110.34 डॉलर पर आ गया। संयुक्त अरब अमीरात के कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने के फैसले से भारत को ज्यादा फायदा होगा। भारत अपनी खपत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। पिछले दिनों कच्चे तेल के दाम 139 डॉलर प्रति तक जा पहुंचे थे, जिससे देश में पेट्रोल डीजल के दामों में बड़ी बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। बहरहाल संयुक्त अरब अमीरात के कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने के फैसले से भारत को भी फायदा होगा जो बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा परेशान है।
भारत अपने खपत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। पिछले दिनों कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति तक जा पहुंचे थे। जिसके चलते देश में पेट्रोल डीजल के दामों में बड़ी बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल डीजल के खुदरा दाम नहीं बढ़ाने के फैसले के चलते सरकारी तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है। और इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकारी तेल कंपनियों को 15 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल दाम बढ़ाने की दरकार है।