अमेरिका, वाशिंगटन : एक कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था को जिस संघर्ष की जरूरत नहीं थी, वह आखिरकार शुरू हो गया है। इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर शुरू हो सकता है, और दुनिया में सभी के लिए परेशानी बढ़ सकती है। यूक्रेन पर रूस के हमले और जवाब में पश्चिम की ओर से प्रतिबंध से पूरी दुनिया मंदी में घिर जाएगी, यदि यह सोचा जा रहा है तो ऐसा नहीं है।
दोनों देश मिलकर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत से कम का योगदान करते हैं। कई क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएं मजबूत स्थिति में हैं और महामारी की मंदी के बाद तेजी से पुनरुद्धार दर्ज कर रही हैं। फिर भी संघर्ष से कुछ देशों और उद्योगों को गंभीर आर्थिक नुकसान का खतरा है।
रूस पेट्रोलियम का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्राकृतिक गैस का प्रमुख निर्यातक है। दूसरी ओर वित्तीय बाजार एक अनिश्चित स्थिति में हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। ऐसे में खर्च कम होने तथा एक और मंदी का खतरा बढ़ सकता है।
एक कारोबारी समूह अंतर्राष्ट्रीय वित्त संस्थान की उप मुख्य अर्थशास्त्री एलिना रिबाकोवा ने कहा कि मैं केवल जीडीपी हिस्सेदारी की गणना करके गुमराह नहीं होऊंगी, विशेष रूप से ऐसे वक्त में जब जिंस कीमतें पहले ही बढ़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यह एक मुश्किल क्षण है। रूस का हमला पहले से ही ऊंची ऊर्जा कीमतों को और बढ़ा सकता है, जिससे यूरोप में आर्थिक पुनरुद्धार धीमा हो सकता है।