बिहार, मुजफ्फरपुर : राज्य के के मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां (सुरक्षित) उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी अमर पासवान ने जीत दर्ज की। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का परंपरागत वोट बैंक हिल गया। विपक्षी दल राजद भूमिहार समाज में सेंधमारी में काफी हद तक सफल रहा है। चुनाव नतीजा बताता है कि भूमाय समीकरण यानी भूमिहार, मुस्लिम, यादव का नारा सोशल मीडिया के साथ-साथ वोटिंग बूथ पर भी दिखा है।
राजद ने 17 साल बाद बोचहां में जीत दर्ज की है। 2005 में आखिरी बार लालटेन चुनाव चिह्न पर रमई राम चुनाव जीते थे। इसके बाद 2010 में चुनाव तो रमई राम ही जीते, लेकिन चुनाव चिन्ह तीर (जेडीयू) का था। इसके बाद 2015 में बेबी कुमारी ने निर्दलीय चुनाव जीता। 2020 में वीआईपी के टिकट पर मुसाफिर पासवान चुनाव जीते। उनके निधन के कारण ही उपचुनाव हुआ है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अमर पासवान को दिवंगत मुसाफिर पासवान के निधन से उपजे सहानुभूति का फायदा हुआ। साथ ही साथ उनका युवा होना भी उनके पक्ष में गया। पूरे उपचुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने जोरदार तरीके से प्रचार किया। अपने नेताओं को एकजुट करने के साथ-साथ अपने अंदाज में वोट मांगा। बोचहां की सीधी लड़ाई को विकासशील इंसान पार्टी ने त्रिकोणीय बना दिया था। पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी अपने अपमान की बात अपने समाज को समझाने में सफल रहे। यही कारण है कि मल्लाह समाज भाजपा से छिटक गया।
वहीं उनकी प्रत्याशी डॉ. गीता कुमारी ने अपने पिता रमई राम की विरासत को बचाने के लिए काफी कड़ी लड़ाई लड़ी। इन सबका नतीजा रहा कि अमर पासवान बाजी मार ले गए। माना जाता है कि मल्लाह वोटर पिछली बार के चुनाव में भाजपा के साथ था, लेकिन इस बार उन्होंने अपना नेता मुकेश सहनी को ही माना है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने बोचहां की जीत पर कहा कि बिहार के बोचहां के जनता मालिकों को हार्दिक धन्यवाद।
बोचहां विधानसभा उपचुनाव में बेरोजगारी, महंगाई एवं बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि व विधि व्यवस्था से त्रस्त जनता ने डबल इंजन सरकार तथा अवसरवादी एनडीए ठगबंधन में शामिल 4 दलों की जनविरोधी नीतियों व अहंकार को अकेले परास्त करने का न्यायप्रिय कार्य किया है।