नई दिल्ली : संसद पर हुए आतंकी हमले को आज 20 साल पूरे हो गए। लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा करते कई जवान शहीद हुए थे। उन शहीदों को आज श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। संसद भवन परिसर में कार्यक्रम आयोजित हुआ। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अर्पित किए श्रद्धासुमन। अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मौजूद रहे। इस मौके पर बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री और सांसदों ने भी हिस्सा लिया।
गौरतलब है कि आज ही के दिन 2001 की सुबह संसद गोलियों की आवाज से गूंज उठा था। इस दौरान संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक स्थगित रही। तत्कालीन विपक्ष की नेता सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी घर की तरफ जा चुके थे। गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब 200 सांसद के अंदर ही मौजूद थे।
करीब 11 बजकर 27 मिनट पर संसद के प्रवेश द्वार नंबर 12 से गृह मंत्रालय के स्टीकर लगी लाल बत्ती वाली एंबेसडर कार तेज रफ्तार से निकली तो यहां तैनात सुरक्षाकर्मी को शक हुआ। इसके बाद जैसे ही गार्ड जगदीश यादव ने कार का पीछा किया तो उसकी रफ्तार और तेज हो गई ।
इसी दौरान प्रवेश द्वार 11 पर उस समय के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत बाहर निकलने वाले थे और काफिले में तैनात गार्ड उनका इंतजार कर रहे थे तभी जगदीश यादव ने सुरक्षाकर्मियों को वह कार रोकने का इशारा किया वो अलर्ट हो गए, लेकिन तब तक आतंकियों की कार ने उपराष्ट्रपति के काफिले को टक्कर मार दी थी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियार निकाल लिए और गोलियों की बौछार शुरू हो गई।
जगदीश यादव सहित चार सुरक्षाकर्मी तो मौके पर ही शहीद हो गए। आतंकी किसी भी कीमत पर संसद में घुसकर नेताओं को मार गिराना चाहते थे, लेकिन किसी सुरक्षाकर्मी ने ने संसद का आपातकालीन अलार्म बजा दिया और सभी गेट बंद कर दिए। इसके बाद भी सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक-एक करके सभी आतंकियों को मार गिराय गया।
करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी में सभी आतंकवादी ढेर हो गए, लेकिन ढेर होने से पहले आतंकियों ने संसद में घुसने की हरसंभव कोशिश की और संसद के अंदर हथगोले फेंके, आत्मघाती विस्फोट किया पर सुरक्षाकर्मियों के आगे उनकी एक न चली। अफजल गुरु को हर कोर्ट से मायूसी मिली और फांसी की सजा बरकरार रही। फरवरी 2013 में तिहाड़ जेल में अफजल को फांसी दे दी गई।