असम, गुवाहाटी : विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने अपने एक संदेश में कहा कि आज भी पग पग पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। यह केवल असम या भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे विश्व में इसके उल्लंघन की घटनाएं देखने को मिल रही है। यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि संयुक्त राष्ट्र ने 1948 के 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के रुप में घोषित किया था। हालांकि भारत में यह दिवस 1993 के 28 सितंबर को मानव अधिकार को स्वीकृति देते हुए 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया था। उन्होंने आगे कहा कि उनके गृह राज्य असम में पुलिस द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है। इनमें फर्जी मुठभेड़, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए निर्दोष लोगों की गिरफ्तारियां, पुलिस प्रताड़ना के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर करना भी शामिल है। उनका कहना था कि पुलिस के अलावा राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा लोगों के अधिकारों को उनसे वंचित रखा जा रहा है। खासकर स्वास्थ्य विभाग आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सुचारु रूप से संचालित करने में विफल रहे हैं। यह भी एक तरह का मानवाधिकार का उल्लंघन है। वर्तमान में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ असम के सरकारी अस्पताल और चिकित्सालय में साँप के काटने का उपचार हृदय रोग का इलाज और जिला स्तरीय सिविल अस्पतालों में टेटनस का टीका मुफ्त उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिलता। इसके अलावा अंधविश्वास के नाम पर भी कुछ लोग विभिन्न निर्दोष लोगों पर अत्याचार और हत्या करते रहे हैं। इन सभी मामलों में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर उपेक्षा की जा रही है। इसे भी मानवाधिकारों का उल्लंघन कहां जा सकता है। वहीं दूसरी ओर दिव्यज्योति सैकिया ने मानवाधिकार के नाम पर कुछ व्यक्तियों और संगठन समाज को गुमराह करने की कोशिशें की कड़ी आलोचना की। यहां उल्लेख किया जा सकता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक दल ने हाल के अपने दौरे में 45 एनकाउंटर और एक आत्महत्या की घटना का संज्ञान लेते हुए पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया था।
79.23 प्रतिशत मतदान
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