असम, चिरांग : एक ऐतिहासिक फैसले में असम के चिरांग जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2018 में जादू-टोना करने के झूठे आरोप में 45 वर्षीय व्यक्ति शरत नारजरी की क्रूर हत्या के मामले में दो महिलाओं सहित छह व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी ठहराए गए व्यक्तियों में सौमला बरगयारी, एडवोकेट बासुमतारी, प्रसेनजीत बरगयारी, कासीराम बरगयारी, रेबेका ओवारी उर्फ ओरगे वारी और गौसूम ओवारी शामिल हैं। अदालत ने प्रत्येक दोषी व्यक्ति पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना न देने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। हालांकि सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मृत्यु हो गई। यह घटना 2018 में चिरांग जिले में भारत-भूटान सीमा के पास स्थित रूनीखट पुलिस थाना अंतर्गत दक्षिणगांव की है। नारजरी पर सात ग्रामीणों द्वारा डायन होने का आरोप लगाया गया था और उसे पास के जंगल में घसीटने से पहले बेरहमी से पीटा गया था, जहाँ उसने दम तोड़ दिया। इस फैसले को असम में डायन की गहरी जड़ें जमा चुके मुद्दे को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है, एक ऐसी प्रथा जिसने कई निर्दोष लोगों की जान ले ली है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फैसले को ऐसी अंधविश्वासी प्रथाओं के लिए एक शक्तिशाली निवारक और न्याय की जीत के रूप में सराहा है। इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देश के अंधविश्वास विरोधी नेता, असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है की अदालत के इस फैसले को असम में डायन-बिसाही की गहरी जड़ें जमा चुके मुद्दे को संबोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा सकता है। यह एक ऐसी प्रथा है जिसने कई निर्दोष, खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों की जान ले ली है। उन्होंने आगे कहा कि फैसले को ऐसी अंधविश्वासी प्रथाओं के लिए एक शक्तिशाली निवारक और न्याय की जीत के रूप में सराहना की जा सकती है। मालूम हो कि डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने पिछले दो दशकों से उन्होंने लगभग 150 डायन पीड़ितों को बचाया और अंधविश्वास के खिलाफ लगातार आवाज उठाई। उन्होंने राज्य पुलिस की मदद से अंधविश्वास और सांप्रदायिक हिंसा के कई पीड़ितों को बचाने में मदद की है। उन्होंने उनके पुनर्वास में भी सहायता की। उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि अंततः असम डायन शिकार (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम 2015 असम विधानसभा में पारित किया गया और 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के अनुमोदन के बाद इसे कानून का रुप दिया गया।
सोनोवाल तीन दिवसीय सिंगापुर यात्रा पर
नई दिल्ली : केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल सिंगापुर समुद्री सप्ताह में भाग लेने के लिए सिंगापुर...
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