पंजाब, बरनाला : प्रबुद्ध गुणवत्ता वाली सच्ची शिक्षा से ही समाज में मानवतावाद की स्थापना होती है और मानवतावादी प्रवृत्तियों से ही शांति स्थापित होगी। शांति प्रगति का मूल है। इसलिए हमें हिंसा, अंधविश्वास और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना चाहिए और मानवीय दृष्टिकोण, मानवीय प्रेम और तर्कसंगत मानसिकता के साथ समाज को आगे बढ़ाना चाहिए। यह राष्ट्रीय स्तर के तर्कवादी विचारक, अंधविश्वास विरोधी नेता, मानवाधिकार और असम से आए राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया का कथन है। वे पंजाब के बरनाला स्थित तारकशिला भवन में भारतीय तर्कशील संघों के 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन विशिष्ट अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस आयोजन की अध्यक्षता कई अंधविश्वास विरोधी और तर्कवादी राज्य और राष्ट्रीय संगठनों के मुख्य संगठन, फेडरेशन ऑफ इंडियन रेशनलिस्ट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र नायक ने की। इस मौके पर पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अरविंद मुख्य अतिथि और ह्यूमनिस्ट इंटरनेशनल यूके के कार्यकारी सदस्य उत्तम निरूला सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अरविंद ने कहा कि विज्ञान का अर्थ है नई खोजें और नवाचार। विवेकशील व्यक्ति ही समाज को बदल सकते हैं। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के 500 से अधिक तर्कवादी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भाग लिया। डॉ. दिव्यज्योति सैकिया इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले असम और पूर्वोत्तर के एकमात्र प्रतिनिधि थे और उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारतीयों को संविधान ने मौलिक अधिकार दिए हैं और अंधविश्वास के खिलाफ आह्वान कर विज्ञान की शिक्षा को प्राथमिकता दी है। संविधान की 51 ए (एच) अनुच्छेद हमें शांति स्थापित करने के लिए कार्रवाई के माध्यम से तर्क और मानवीय सोच के साथ आगे बढ़ने का अधिकार भी देता है। इसलिए हमें भारत के संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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