असम, धेमाजी : असम के धेमाजी जिला पुलिस ने चार महिलाओं सहित सात लोगों को सिसिबोरगांव के तहत बोरमुकली-बलीजान गांव में हुए बहुचर्चित डायन शिकार मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सभ्य समाज को अपमानित करने वाली घटना घटी, जहां स्थानीय ग्रामीणों के एक बड़े वर्ग ने जादू-टोने का झूठा और आधारहीन आरोप लगाते हुए एक मासूम गृहिणी पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने एक पीड़िता महिला को बेरहमी से पीटा और उसके परिवार को अपने पैतृक गांव से निर्वासित कर दिया। हमलावरों ने महिला (पीड़ित) को भी सड़क पर ले जाकर डंडे से पीटा और एक सार्वजनिक स्थान पर उसके कपड़े उतार दिया। पीड़िता के बेटे ने 22 मई को सिलापथार थाने में शिकायत दर्ज कराकर अपनी मां पर हमला करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने असम विच हंटिंग (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 325/354/506/34 आईपीसी और आर/डब्ल्यू धारा 7 के तहत मामले की जांच (संख्या 105/2023) के बाद चार महिलाओं सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया। जबकि वे घटना में शामिल और लोगों को पकड़ने के लिए खोज कर रहे हैं। गिरफ्तार किए गए लोग फिलहाल धेमाजी पुलिस हिरासत में हैं। इस घटना के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार जीतने वाली राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने कहा कि आम लोगों की रक्षा करने में सरकार और प्रशासन की विफलता अमानवीय है। उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि उचित शिक्षा और जागरूकता और कानूनी तरीके से इस तरह के अंधविश्वासों को समाज से खत्म किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि असम विच हंटिंग (पीपीपी) अधिनियम को डॉ. दिव्यज्योति शैकिया के मजबूत संघर्ष के परिणामस्वरूप 2018 में पूरे असम में लागू किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और पुलिस की धीमी रफ्तार के कारण कड़े कानून होने के बावजूद घटना पर लगाम नहीं लग पा रहा है, जो सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है।
असम विधानसभा का बजट 17 फरवरी से
असम, गुवाहाटी : असम विधानसभा का इस वर्ष का बजट सत्र 17 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। राज्यपाल...
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