असम, लखीमपुर : असम में राष्ट्रीय पनबिजली शक्ति निगम (एनएचपीसी) के निचले सुबनसिरी पनबिजली परियोजना में भूस्खलन के बाद एक डायवर्जन सुरंग अवरुद्ध हो गई। वहां बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन के कारण परियोजना के बाएं किनारे पर नंबर 1 डायवर्जन सुरंग बंद हो गई। इसके बाद परियोजना के निचले हिस्से में जल स्तर कम हो गया है। बताया जा रहा है कि अब तक कुल आठ डायवर्जन सुरंगों को बंद कर दिया गया है। यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि इससे पहले इसी साल सितंबर में बांध के दाहिनी ओर की पहाड़ियों पर बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुई थी। ताजा घटनाक्रम के बाद यह आशंका जोड़ पकड़ने लगी है कि आने वाले समय में कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इस स्थिति को लेकर असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने गहरी चिंता व्यक्ति की है। उनका कहना है कि यह परियोजना असम के लोगों के जीवन, संसाधनों, सभ्यता और जैव विविधता को खतरे में डाल रही है। उनका कहना था कि असम के लोगों की जैव विविधता और आजीविका के खतरे को देखते हुए हम पहले से ही इसके निर्माण का विरोध कर रहे हैं। सिक्किम में तीस्ता बांध टूटने के कई कारण हैं। इसी तरह परियोजना के किसी भी क्षण ढहने से लखीमपुर, धेमाजी और माजुली के लोगों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। नदी का दक्षिणी भाग पहले ही सूख चुका है और खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने क्षेत्र के निचले हिस्से पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन के साथ सुरक्षा सुनिश्चित होने तक निर्माण कार्य रोकने की वकालत की है और बड़े बांधों के बजाय छोटी जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना की मांग उठाई है। उन्होंने आगे कहा कि 100 मेगावाट से 500 मेगावाट तक के बांध अगर जल प्रलय ला सकता है तो निकट भविष्य में दो हजार मेगावट वाले इस परियोजना से कितना नुकसान होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। भले ही या परियोजना निचले असम का हिस्सा है, लेकिन अगर यदि एनएचपीसी और केंद्र सरकार ज्यादा ध्यान नहीं देती तो कई निर्दोष लोग मारे जायेंगे और हम इस मौत को सरकारी हत्या मानने को मजबूर होंगे। इसे अगर मानवाधिकार का उलझन कहे तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनका मानना है कि यही समय है कि विभागीय अधिकारियों को उचित कार्रवाई करनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर इसका कार्य संपूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए।
युवाओं और छात्रों को नशे के खिलाफ जागृत करने पर डॉ. दिव्यज्योति सैकिया का प्रेरणादायक कार्यक्रम
असम, गुवाहाटी : असम के तिनसुकिया जिले में नशा, अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ 10 अलग-अलग स्थानों पर विद्यार्थियों एवं...
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