नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दशकों बाद नगालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का फैसला किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट में यह जानकारी दी। शाह ने लिखा आफस्पा के इलाकों का दायरा घटाने में सरकार के शांति लाने के लिए किए जा रहे प्रयास मददगार रहे हैं। इन इलाकों में उग्रवाद पर नियंत्रण बढ़ा है। कई समझौतों के कारण सुरक्षा के हालात और विकास ने भी कानून हटाने में मदद की।
पिछले साल दिसंबर में नगालैंड में सेना के हाथों 13 आम लोगों के मारे जाने और एक अन्य घटना में एक व्यक्ति के मारे जाने के बाद असम में अफ्सपा हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया था। यह एक्ट मणिपुर में (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगदिंग और तिरप जिलों में, असम से लगने वाले उसके सीमावर्ती जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों के अलावा नगालैंड और असम में लागू है। केंद्र सरकार ने जनवरी की शुरुआत में नगालैंड में इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया था।
आफस्पा को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया।
अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। आफस्पा असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में लागू किया गया था। हालांकि बाद में कई इलाकों से इसे हटा भी दिया गया। अमित शाह की घोषणा से पहले ये कानून जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर (राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर), असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है। त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से इसे पहले ही हटा दिया गया है।