असम, गुवाहाटी : राज्य में एक बार फिर लड़के और लड़कियां प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) अर्थात अल्फा (आई) में शामिल हो रहे हैं। जबकि दूसरी ओर कई वरिष्ठ लोग संगठन छोड़ भी रहे हैं। ऐसे में युवाओं को प्रतिबंधित संगठन में शामिल नहीं होने की अपील की गई है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने आशंका जताई है कि कई गायब युवा अल्फा (आई) विद्रोही बन गए हैं। उन्होंने कहा कि अब असम में शांति आ चुकी है और डर एवं आतंक जो माहौल था वह धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।
ऐसे में वे युवाओं से अपील करेंगे कि वे एक बार फिर खून की होली न खेलें। उनका संगठन के प्रमुख से भी अखिल रहेगी कि वे युवाओं को अपने यहां शामिल न करें और कोई अगर भटक कर वहां जाता भी है तो उसे वापस भेज दे। वहीं दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि अल्फा (आई) युवाओं को लुभाने के लिए फेसबुक और यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा है। इस संदर्भ में उग्रवाद के खिलाफ समय-समय पर आवाज उठाने वाले असम के राष्ट्रीय स्तर के मानव अधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि विगत समय में तकरीबन 50 से अधिक युवक युवतियां एवं विवाहित लोगों का प्रतिबंधित संगठन से जुड़ना बेहद चिंतनीय है। उन्होंने युवाओं से उग्रवाद के रास्ते पर न जाकर सृजनात्मक कार्यों के प्रति अपना ध्यान लगाने का आग्रह किया। ऐसा करने पर वे न केवल राष्ट्र के साथ जुड़ेंगे बल्कि देश निर्माण में भी अपना योगदान दे पाएंगे। उन्होंने राज्य सरकार की भी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार देने में असफल रही है। साथ ही ऐसे युवाओं को गलत रास्तों पर जाने पर भी रोकने में नाकाम साबित हुई है। यहां तक की सरकार ने युवाओं को पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए कोई जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं चलाया है।
उन्होंने सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने अभिभावकों से भी अपने बच्चों पर कड़ी नजर रखने की अपील की है। हालांकि संगठन के प्रमुख परेश बरुआ ने भर्तियों के लिए किसी तरह का अभियान चलाने की बात से इनकार किया है। इस बारे में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा है कि बेरोजगारी के चलते लोग परेशान होकर उग्रवादी बन रहे हैं। सरकार युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही है। वे केवल मंदिर मस्जिद की लड़ाई में व्यवस्था है। युवा हताश और निराश है। इसीलिए वे रास्ते भटक कर गलत मार्ग पर चलने को मजबूर हुए हैं।