असम, गुवाहाटी: एआईयूडीएफ ने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने कल कहा था यदि जनसंख्या विस्फोट जारी रहा, तो एक दिन कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी कब्जा कर लिया जाएगा, यहां तक कि मेरे घर पर भी कब्जा कर लिया जाएगा।
पार्टी के सांगठनिक महासचिव एवं मनकाचार के विधायक अनीमुल इस्लाम ने कहा है कि मुख्यमंत्री का बयान राजनीति से प्रेरित है और वे एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं। असम के मुकाबले राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों का वृद्धि दर अधिक है। यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले असम की वृद्धि दर भी कम है।
जब राज्य सरकार ने जनसंख्या नीति बनाई तो हमने कभी इसका विरोध नहीं किया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री प्रवासी मुस्लिमों की आबादी बढ़ने की असल वजह को नहीं समझ रहे हैं। इसकी वजह गरीबी और अशिक्षा है और इसके समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने कोई योजना नहीं बताई है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को एक समुदाय विशेष के बच्चे ज्यादा हैं कहने के बजाय उन्हें इसे नियंत्रित करने पर काम करना चाहिए व इसका कारण पता लगाना चाहिए।
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिसंबर में जारी किए गए नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में कहा कि पिछले पांच वर्षों में अधिकांश राज्यों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट आई है। इसी सर्वेक्षण में असम में महिलाओं की प्रजनन दर 2015-16 में 2.2 से घटकर 2020-21 में 1.9 हो गई है और 1.9 2.1 से कम है, जिसका अर्थ है कि असम की जनसंख्या की रफ्तार कम हुई है।