गुवाहाटी: एआईयूडीएफ ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मसौदे के व्यापक स्तर पर और समयबद्ध दोबारा सत्यापन की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर गई याचिका का कड़ा विरोध किया है।
पार्टी के सांगठनिक महासचिव एवं विधायक अमीनुल इस्लाम ने आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगस्त 2019 की एनआरसी के मसौदे में 19 लाख लोगों को छोड़ दिया गया था। पिछले साल ही उन्हें रिजेक्शन स्लिप देने की बात थी, जिससे वे विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) मैं अपील कर सकें।
लेकिन अब वे रिजेक्शन स्लिप जारी करने की जगह पुन: सत्यापन की अपील की है। हमें इस कृत्य के पीछे किसी साजिश का संदेह है। यहां यह भी सवाल उठता है कि क्या एनआरसी प्राधिकरण के कदम को राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार अपना रुख स्पष्ट करे। उनका कहना था कि हम न्याय प्रणाली में विश्वास करते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने पहले ही एक बार एनआरसी के पुन: सत्यापन की याचिका को खारिज कर दिया था और हमें विश्वास है कि इस बार भी प्रार्थना खारिज कर दी जाएगी। हालांकि उन्होंने एनआरसी प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश को चिंताजनक संकेत करार दिया। गौरतलब है कि याचिका में एनआरसी समन्वयक ने कहा कि मसौदा में व्यापक अनियमितता हुई है ऐसा में पुन: सत्यापन एक निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए, जिसका प्रतिनिधित्व संबंधित जिला न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक द्वारा किया जाना चाहिए।
इससे पहले मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद डॉ हिमंत विश्व शर्मा ने बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में 20 प्रतिशत पुन: सत्यापन और अन्य जिलों में 10 प्रतिशत समग्र पुन: सत्यापन की वकालत की थी।