गुवाहाटी: असम विधानसभा का सत्र आज आहूत किया गया और अदालत से विशेष अनुमति लेकर जेल से शपथ ग्रहण समारोह में आए नवनिर्वाचित विधायकअखिल गोगोई। नयी विधानसभा के सत्र के पहले दिन अखिल का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। सदन के बाहर कई लोग उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़े, जिसमें विधानसभा के कर्मचारी भी शामिल थे। वे पहली बार विधायक चुने गये हैं।
सदन में उन्होंने जब शपथ ली तो दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोगों ने तालियां भी बजायी। शपथ लेने के बाद अखिल सभी से हाथ मिलाते और अभिवादन करते नजर आये। अखिल ने जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव ल़ड़ा था और बिना किसी भौतिक प्रचार के जेल में रहते हुए ही चुनाव जीतने वाले वह पहले असमिया बन गये। वे एक कैदी विधायक के रूप में शपथ लेने वाले विधानसभा के पहले सदस्य भी बन गये।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद गोगोई को आतंकवाद और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गोगोई के साथ फोटो खिंचवाने के लिए विधानसभा कर्मचारियों में इतना उतावलापन था कि सादे कपड़े में विधानसभा इमारत में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों और हाउस मार्शल को बीच-बचाव करना पड़ा। सदन की कार्यवाही पहले हिस्से के बाद स्थगित होने के बाद बड़ी संख्या में विधानसभा कर्मचारी गोगोई के कमरे के बाहर विधानसभा भवन के संकरे गलियारे में जमा हो गये।
गोगोई के कमरे के बाहर भीड़ जमा होने और लोगों द्वारा कोरोना महामारी के बीच एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियम का पालन नहीं करने के चलते विशेष प्रकोष्ठ की पुलिस कमरे की रखवाली में तैनात की गयी और उसने उसके बाद किसी को भी उनसे मिलने नहीं दिया। सुबह में गोगोई भारी सुरक्षा वाले काफिले के साथ गुवाहाटी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जीएमसीएच) से विधानसभा पहुंचे। अस्पताल में उनका उपचार चल रहा है।
विधानसभा में सुरक्षाकर्मियों को तब उन्हें धक्का देते देखा गया, जब विधायक ने मुख्य गेट के बाहर मीडिया से बात करने की कोशिश की। विधानसभा इमारत के भीतर धकेले जाने के दौरान गोगोई चिल्लाते सुने गये। उन्होंने कहा कि मैं इस विधानसभा का एक विधायक हूं। आप एक विधायक को कैसे धक्का दे सकते हैं और घसीट सकते हैं? यह एक अपमान है, कोई मेरी आवाज को चुप नहीं करा सकता। सदन के अंदर गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के साथ इस मुद्दे को उठाया और विधायक के अनुसार मुख्यमंत्री ने संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका को मामले को देखने का निर्देश दिया।