उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़: पूरे विश्व के साथ देश में भी वैश्विक महामारी कोरोना विकराल रूप धारण करे हुए हैं। इससे बचाव के लिए सरकार लॉकडाउन जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर हैं। लोगों को इस वायरस से बचाने के लिए वैक्सीन लगाने पर भी जोर दे रही है। एक अरसा गुजर जाने के बावजूद भी लोग इसे दैविक प्रकोप मानकर अंधविश्वास फैला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव में कोरोना माता का मंदिर बनवाने का मामला सामने आया है। हालांकि प्रशासन ने इस मंदिर को हटवा दिया है। पुलिस ने एक शख्स को हिरासत में लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार शुकुलपुर जूही गांव में कोरोना वायरस से तीन लोगों की संदिग्ध मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रामीणों में भय व दहशत फैल गई। इस गांव के लोकेश श्रीवास्तव ने एक चबूतरे के पास नीम के पेड़ के बगल में कोरोना माता का मंदिर स्थापित किया।
लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंसकर वहां पूजा-अर्चना करने लगे। किसी ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। देखते ही देखते यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। इसकी जानकारी जब पुलिस प्रशासन को लगी तो तत्काल कार्रवाई करते हुए मंदिर को ढा दिया गया और मलबे को दूसरी जगह पर ले जाकर फेंक दिया गया।
पुलिस ने नागेश कुमार श्रीवास्तव को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
मामला सामने आने के बाद इस पर अपनी तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्तर के असम के मानवाधिकार, अंधविश्वास विरोधी एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने यह घटना साबित करता है कि देश के लोग अब भी अंधविश्वास के मायाजाल में जकड़े हुए हैं। लोग शिक्षित तो हो गए, लेकिन वे अब भी ज्ञान की रोशनी से दूर है।
उनके पास डिग्री वाली शिक्षा तो है लेकिन व्यवहारिक ज्ञान का अब भी उनमें अभाव है। पढ़े लिखे होने के बावजूद भी उनमें अंधविश्वास कूट कूट कर भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसे जड़ से खत्म करने के लिए लोगों को इस कुरीति से बाहर निकालना होगा। लोगों को जागरूक करने के लिए भी कदम उठाना होगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए।