असम, गुवाहाटी : असम विधानसभा ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वाधीनता आंदोलन का स्मरण करने के साथ ही शहीदों की कुर्बानियों को भी याद किया। इस 1 दिन के विशेष सत्र में शहीदों को याद करने के साथ ही स्वाधीनता आंदोलन में असम की भूमिका को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान असम के स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्थान न मिलने पर इसके पुनर्मूल्यांकन की बात कही गई। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने अपने उद्गार में कहा कि राज्य की जनता आज भी खुद को राष्ट्र की मुख्यधारा से अलग नहीं मानती। वे खुद को भारत का ही अंग राज्य के रूप में स्वीकार करती है। आजादी के अमृत महोत्सव में जिस तरह से जनता ने अपनी जन भागीदारी निभाई है वह इस बात का प्रमाण है कि विद्रोही संगठनों के सार्वभौमिकता की मांग का वह समर्थन नहीं करती। मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 अगस्त से घर-घर तिरंगा के आह्वान के प्रति लोगों ने जिस उत्साह के साथ भाग लिया है वह उनके देश प्रेम की भावनाओं को उजागर करती है। असम की वीरो की कहानियों से देश के अन्य राज्य अवगत नहीं है। इसीलिए उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर असम के वीर योद्धा लाचित बरफूकन जीवन गाथा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का अनुरोध किया है। इतना ही नहीं उन्होंने असम के स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास की कुछ प्रमुख घटनाओं को अवगत कराने के उद्देश्य से देश के अन्य राज्यों से संपर्क साधा है।
भाजपा ने दिल्ली के लिए जारी किया संकल्प पत्र
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के संकल्प पत्र को लॉन्च करते हुए सांसद अनुराग ठाकुर ने...
Read more