असम, गुवाहाटी : राज्यसभा सांसद एवं पूर्व असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने पेट्रलियम सामग्री के अलावा अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर सरकार को जमकर लताड़ लगाई है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर के महीने में पेट्रोल-डीजल के दामों में लगभग हर दो दिन पर 25 से 30 पैसा प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
आज पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उपचुनावों में असम को छोड़ पूरे देश में मुंह की खाने के बाद केंद्र सरकार ने विगत 4 नवंबर से पेट्रोल और डीजल की कीमतों 5 रुपये और 10 रुपये कम कर दिए गए थे। असम में आज भी पेट्रोल और डीजल प्रति लीटर क्रमश: 95.32 रुपये और 81.86 रुपए की दर पर बिक रहा है।
अब सरकार अगले साल उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए अगला कदम उठाएगी। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने का जो फैसला 4 नवंबर को लिया, वह फैसला उससे पहले क्यों नहीं लिया गया। भाजपा इसे एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बताकर देश की जनता को गुमराह करने काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले पेट्रोल पर 32.90 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए उत्पाद शुल्क लगाया था।
अब डीजल में प्रति लीटर 10 रुपए और पेट्रोल में 5 रुपये प्रति लीटर की कमी के बाद भी पेट्रोल और डीजल पर आबकारी शुल्क क्रमश: 27.90 रुपये और 21.80 रुपये प्रति लीटर है। इसका मतलब है कि लोगों को अभी भी पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर का टैक्स देना पड़ रहा है।
यह कीमतें अब भी अधिक हैं। एक तरफ तो सरकार ने ईंधन की कीमतें घटाई है लेकिन दूसरी तरफ जन वितरण प्रणाली पीडीएस के तहत दिए जाने वाले किरासन तेल में 7.50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। केरोसिन की कीमत 44.14 रुपये थी अब 7.50 रुपये की बढ़ोतरी से यह बढ़कर 51.64 रुपए प्रति लीटर हो गई है। यह सभी जानते हैं कि किरासन की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर गरीब तबके पर पड़ेगा।
इसी तरह वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 266 रुपए की बढ़ोतरी कर 2001 रुपए कर दिया गया है। पहले यह सिलिंडर 1735 रुपए का आता था। इस बढ़ोतरी का असर चाय दुकानदार, छोटे होटल, चाय-चावल, मिठाई, चाउमीन, पकौड़े आदि बेचने वाले कारोबारियों पर पड़ेगा।