असम, गुवाहाटी : असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया का आरोप आखिरकार सच प्रमाणित हुआ। असम में कुछ एक पुलिस अधिकारी द्वारा निर्दोष लोगों पर चलाए जा रहे अत्याचार एवं संदेह युक्त अपराधियों को हत्या करने का मामला सरासर मानवाधिकार उल्लंघन है।
इतना ही नहीं बल्कि अब यह साबित हो गया है कि अब यह फर्जी एनकाउंटर है। पिछले साल 10 मई को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के पदभार संभाले के बाद इस साल 28 जनवरी तक पुलिस कार्रवाई में 28 लोग मारे गए हैं और 73 अन्य घायल हुए हैं। उनका कहना था कि हिमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद एक्स्ट्रा जुडिशल किलिंग आरंभ हुई है। न्याय व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर सरकार संदेह जनक अपराधियों को गोली मारकर एक तरह से मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही है। पुलिस छोटी-छोटी बातों को लेकर पुलिस लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।
ताजा मामला नगांव जिले के कीर्ति कमल बोरा का है, जिसे बिना किसी कारण ही गोली मारी गई थी। जिसकी वजह से वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार बरठाकुर की जांच में स्पष्ट हो गया है कि यह फर्जी एनकाउंटर था और इसके लिए पुलिस संपूर्ण रूप से जिम्मेदार है।उपनिरीक्षक प्रदीप बनिया को निलंबन करने के साथ नगांव के पुलिस अधीक्षक (एसपी) आनंद मिश्रा का तत्काल प्रभाव से तबादला कर उन्हें असम पुलिस मुख्यालय से संबद्ध किया गया है।
इस संदर्भ में सैकिया का कहना है कि अब तक उन्होंने फर्जी एनकाउंटर को लेकर जो कुछ भी कहा था वह सच साबित हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इसको लेकर मामला दर्ज कराया था। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि गृह विभाग मूकदर्शक बनकर मानवाधिकार का खुलेआम उल्लंघन कर रही है।