असम, गुवाहाटी : गौहाटी उच्च न्यायालय में असम सरकार पुलिस मुठभेड़ के मामले में आज हलफनामा पेश करने में नाकाम रही। अब अदालत ने सरकार को और समय देते हुए मामले की सुनवाई आठ फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह पिछले साल मई में राज्य की सत्ता पर भाजपा की वापसी के बाद से हुई पुलिस मुठभेड़ों पर हलफमाना दाखिल करे।
मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायधीश सौमित्र सैकिया की पीठ ने आज जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय देने का सरकार का अनुरोध स्वीकार कर लिया। असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया ने कहा अब तक हलफनामा पूरी तरह से तैयार नहीं है और उसे अभी भी तैयार किया जा रहा है। हमने और समय देने का अनुरोध किया था और अदालत ने हमें अतिरिक्त 10 दिन दिए हैं।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए आठ फरवरी की तारीख तय की है। मालूम हो कि उच्च न्यायालय ने कथित फर्जी मुठभेड़ पर राज्य के प्रधान सचिव (गृह), सचिव (गृह) या अतिरिक्त सचिव (गृह) को विस्तृत हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि अधिवक्ता आरिफ मोहम्मद यासीन ज्वाद्दर की याचिका में असम सरकार के साथ-साथ राज्य पुलिस के महानिदेशक, कानून एवं न्याय विभाग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और असम मानवाधिकार आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता ने मुठभेड़ों की जांच अदालत की देखरेख में स्वतंत्र एजेंसी जैसे सीबीआई, अन्य राज्यों की पुलिस टीम या एसआईटी से कराने का अनुरोध किया है। याचिका में गौहाटी उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से घटनाओं की न्यायिक जांच कराने और सत्यापन के बाद पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का भी अनुरोध किया गया है।
ज्वाद्दर ने जनहित याचिका में दावा किया है कि असम में पुलिस ने 80 से अधिक फर्जी मुठभेड़ की हैं और ये सभी मुठभेड़ पिछले साल मई के बाद हुई हैं जब से डॉ हिमंत विश्व शर्मा ने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। ज्वादर के मुताबिक इन मुठभेड़ों में 28 लोगों की मौत हुई है और 48 से अधिक घायल हुए हैं।