असम, गुवाहाटी: असम सरकार ने कक्षा 10वीं एवं 12वीं के लिए अपनायी जानी वाली मूल्यांकन प्रक्रिया जारी कर दी है। मूल्यांकन मानदंड तैयार करने के लिए गठित दो मूल्यांकन नीति समितियों ने अपनी रिपोर्ट पिछले सप्ताह ही सरकार को सौंप दी थी। असम माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सेबा) ने कहा कि कक्षा दसवीं के परिणामों की गणना 40:40:20 फार्मूले के साथ की जाएगी।
इसमें 40 प्रतिशत अंक कक्षा 9 की वार्षिक परीक्षा से आएंगे और अन्य 40 प्रतिशत अंक कक्षा 10 की परीक्षा से होंगे। शेष 20 प्रतिशत अंक स्कूलों द्वारा छात्रों को दिए जाएंगे। सेबा ने कहा कि 20 प्रतिशत अंक देने के लिए उपस्थिति, आंतरिक मूल्यांकन आदि जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाएगा। स्कूलों को 20 प्रतिशत अंक देते समय पिछले तीन वर्षों के परिणामों को ध्यान में रखना होगा।
भिन्नता केवल 10 प्रतिशत के भीतर होनी चाहिए। आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगु ने मूल्यांकन नीति की घोषणा करते हुए कहा कि जिन स्कूलों के पास कक्षा 10 के परीक्षा के छात्रों के रिकॉर्ड नहीं हैं, उनके लिए 70 प्रतिशत अंक कक्षा 9 से और शेष 30 प्रतिशत स्कूलों से दिए जाएंगे।
विकलांग विद्यार्थियों के लिए, जिन्होंने कोई परीक्षा नहीं दी थी, उन्हें अंक देने के लिए स्कूलों पर निर्भर होना होगा। वहीं असम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद (एएचएसईसी) ने कक्षा 12 के लिए दो अलग-अलग फॉर्मूले तैयार किए हैं। जिन विषयों में प्रैक्टिकल हैं, उनके लिए मीट्रिक परीक्षा के सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों में औसत अंकों से 50 प्रतिशत अंक लिए जाएंगे।
30 प्रतिशत अंक प्रैक्टिकल से होंगे और 10 प्रतिशत अंक स्कूलों द्वारा कक्षा 11 और 12 के दौरान आयोजित विभिन्न गतिविधियों के आधार पर दिए जाएंगे। शेष 10 प्रतिशत अंक 90 प्रतिशत के आधार पर होंगे। उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र उपरोक्त फॉर्मूले के आधार पर 90 अंक प्राप्त करता है, तो उसे 10 अंक दिए जाएंगे।
एएचएसईसी ने आगे कहा कि बिना प्रैक्टिकल वाले विषयों के लिए 50 प्रतिशत अंक मैट्रिक के सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों के औसत से होंगे और 40 प्रतिशत अंक कक्षा 11 और 12 के दौरान आंतरिक मूल्यांकन और अन्य गतिविधियों से होंगे। शेष 10 प्रतिशत 90 प्रतिशत अंक पर आधारित होंगे। वोकेशनल विषयों के लिए फॉर्मूला 50:40:10 होगा, जहां 40 फीसदी अंक प्रैक्टिकल से होंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस बार न तो कोई टॉप टेन की सूची होगी और न ही प्रत्येक विषय में उच्चतम अंक की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई विद्यार्थी अपने अंकों या मूल्यांकन की प्रक्रिया से असंतुष्ट हैं तो उनके लिए कोविड-19 की स्थिति सामान्य होने पर 15 सितंबर तक एक वैकल्पिक परीक्षा आयोजित की जाएगी। निर्धारित समय सीमा पर अगर परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती है तो हम जब भी संभव होगा परीक्षा आयोजित करेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जो छात्र शिक्षक बनने की इच्छा रखते हैं या सरकारी नौकरियों में आवेदन करना चाहते हैं तो उन्हें विशेष परीक्षा देनी होगी।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री ने 18 जून को कहा था कि मूल्यांकन मानदंड तैयार करने के लिए दो समितियां बनाई जाएंगी और परिणाम 31 जुलाई तक घोषित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि मूल्यांकन नीति तैयार करने के लिए डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. आलोक बरगोहाईं के नेतृत्व में मैट्रिक के लिए मूल्यांकन नीति तैयार करने वाली समिति बनायी गयी थी।
वहीं कक्षा 12वीं के लिए बनाई गई समिति का नेतृत्व कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीपक कुमार शर्मा ने किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में उन छात्रों के लिए भी सुझाव दिए थे, जो मूल्यांकन नीति के आधार पर तैयार परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं।