असम, गुवाहाटी: राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने कहा कि गाय का परिवहन राज्य के बाहर किये जाने पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में गौ संरक्षण विधेयक पेश करेगी।
आज 15वीं असम विधानसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा कि लोग गाय को पवित्र पशु मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इसको देखते हुए सरकार अगले विस सत्र में गौ संरक्षण विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। प्रस्तावित विधेयक में मवेशी के राज्य के बाहर परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की परिकल्पना की गई है।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार मवेशी की सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी और ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करेगी। देश के कई राज्यों में इस तरह के विधेयक पारित किए गए हैं। उनका यह भी कहना था कि गाय लोगों का पोषण करती है क्योंकि यह उन्हें जीवनदायी दूध देती है।
उन्होंने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता अब राज्य को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बाहर निकालना है। संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सरकार के कठोर दिशानिर्देशों की वजह से अन्य राज्यों के मुकाबले यहां प्रकोप कम रहा है। पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर के दौरान महामारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में हमारा राज्य देश के शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक था।
राज्यपाल ने बाढ़ की स्थिति के बारे में बोलते हुए कहा कि सरकार बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएगी। यह सरकार की प्राथमिकता मैं शामिल है। इसके लिए मिशन ब्रह्मपुत्र योजना का क्रियान्वयन करेगी। इसके तहत ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों से अतिरिक्त पानी को संरक्षण करने के साथ नदी खनन और जलाशयों के निर्माण करेगी जिसके माध्यम से जीवन, आजीविका और संपत्तियों के नुकसान को रोकने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने नामघर और सत्रों की भूमि पर जा रही अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकार वचनबद्ध है। इसकी देखरेख के लिए समिति भी गठित की गई है। अल्फा स्वाधीन के प्रमुख परेश बरुआ के एकतरफा संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल सकारात्मक वातावरण बनेगा बल्कि बातचीत का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
ओएनजीसी के कर्मचारी रितु ल सकिया को रिहा किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि अगर इस दौरान कोई हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया जाता तो निश्चित रूप से राज्य में स्थाई शांति स्थापित किया जा सकेगा। इसके साथ ही शांति वार्ता को भी मजबूती मिलेगी। दोनों पक्षों के सकारात्मक कदम निश्चित रूप से राज्य को देश के अग्रणी पांच राज्यों में शामिल किया जा सकेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई की दूसरे और भूमिगत संगठन भी इसी रास्ते पर आगे आएंगे। उन्होंने अपने संबोधन में सरकार के 1 लाख युवाओं को रोजगार देने और आत्म निर्भर असम बनाने के लिए बनाई गई योजनाओं का भी उल्लेख किया।