असम, गुवाहाटी : पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के विरोध में कल सभी सात पूर्वोत्तर राज्यों में काला दिवस मनाया। संगठन ने इस काले कानून को क्षेत्र के मूल निवासियों के खिलाफ एक राजनीतिक अन्याय बताया। संगठन के अध्यक्ष सैमुअल बी जिरवा ने कहा कि संगठन पूर्वोत्तर के लोगों को याद दिलाना चाहता है कि 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) के खिलाफ पूर्वोत्तर के मूल लोगों के लगातार विरोध के बावजूद विधेयक 2019 में केंद्र सरकार ने अंततः राज्यसभा के माध्यम से कठोर कानून पारित कर दिया, जिसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के रूप में जाना जाता है। उन्होंने दोहराया कि आज के दिन को पूर्वोत्तर के लिए हमेशा काले दिन के रूप में याद किया जाएगा। ऐसे में हमने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी काला दिवस मनाने का फैसला किया है। आज हमने सभी सात राज्यों के सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर काले झंडा और काले बैनर का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह कदम केंद्र सरकार को एक संदेश देने के लिए है कि हम इस नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के खिलाफ हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह हमारे वंशजों को एक और राजनीतिक अन्याय की याद दिलाने के लिए आयोजित किया गया, जो केंद्र ने पूर्वोत्तर के स्वदेशी लोगों पर किया है। उन्होंने पूर्वोत्तर के सभी लोगों से इसका समर्थन करने और साथ ही उचित कारण के लिए लड़ते रहने का आह्वान किया।
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