असम, गुवाहाटी : असम सरकार एक तरफ आम जनता के लिए चिकित्सा सेवा को बेहतर करने का दावा कर रही है। इसके लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक के बाद एक चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण किया जा रहा है। फिर भी हकीकत में आज भी लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन चिकित्सकों का अब भी अभाव है। सरकार चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करने की बात कह रही है। सरकार के दावों के विपरीत राज्य स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की माने तो पिछले 5 वर्षों में 174 चिकित्सकों ने अपनी सरकारी नौकरी को टाटा बाय-बाय किया है। इनमें से जहां 98 चिकित्सकों ने स्वैच्छिक अवकाश लिया हैं, जबकि 76 ने चिकित्सकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो 2020 में आठ, 2021 में सात, 2022 में 24, 2023 में 31 और इस साल मई तक कुल छह चिकित्सकों ने अपनी नौकरी छोड़ी है। वहीं दूसरी ओर स्वैच्छिक अवकाश लेने वाले अधिकांश वरिष्ठ चिकित्सा हैं। इसे अगर आंकड़े के लिहाज से देखा जाए तो 2019 में 21, 2020 में 9, 2021 में 34, 2022 में 15 और इस साल मई तक 19 चिकित्सकों ने स्वैच्छिक अवकाश लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि निजी क्लीनिक एवं नर्सिंग होम में सरकारी नौकरी के मुकाबले चिकित्सकों को मोटी रकम का पैकेज दिया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि निजी क्लीनिक एवं नर्सिंग होम में सरकारी नौकरी के मुकाबले चिकित्सकों को मोटी रकम का पैकेज दिया जा रहा है। शायद इसी पलायन प्रवृत्ति को रोकने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में सरकारी चिकित्सकों के ड्यूटी अवधि के दौरान निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की घोषणा की थी।
भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त
मणिपुर, इंफाल : राज्य में सुरक्षा बलों ने पहाड़ी और घाटी जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में अपने लगातार...
Read more