असम, गुवाहाटी : सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्तूबर को असम सरकार को 2021 से असम में 171 मुठभेड़ों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसको लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देश के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने इस कदम का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रकांत और उज्वल भुइयां की खंडपीठ ने असम में सभी 171 मुठभेड़ों को फर्जी बताया और सवाल किया कि 2021-22 की घटनाओं की जांच में देरी क्यों हुई। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसी मुठभेड़ों से किसी खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। मई 2021 से अगस्त 2022 तक पुलिस हिरासत में हुई मौतों और मुठभेड़ों में हुई मौतों और गंभीर चोटों की उचित जांच नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने नाराजगी जताई।दो सदस्य खंडपीठ ने फर्जी झड़पों को लेकर एक खास जनहित याचिका को गौहाटी हाई कोर्ट के द्वारा अपरिपक्व बताना और असम मानवाधिकार आयोग के मामले बंद करने, खासकर असम सरकार के वकीलों की दलीलें और बयान स्वीकार नहीं किए जाने से जुड़े सवालों का भी संज्ञान लिया। कोर्ट ने अगली सुनवाई 26 नवंबर के लिए तय की है। सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े रवैया के प्रति राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया के निर्देश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को मानवाधिकार आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था की आलोचना करनी पड़ी या चेतावनी देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आम लोगों और नागरिकों के अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले को गंभीरता से लेगा और अदालतों में आम और जागरूक नागरिकों का भरोसा कायम रखा जाएगा। डॉ. सैकिया ने कहा कि एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख आने वाले दिनों के लिए अच्छा संकेत है।
रिश्वत लेते तीन गिरफ्तार
हिमाचल प्रदेश, कुल्लू : विजिलेंस ने कुल्लू में खाद्य सुरक्षा विभाग के कार्यालय में दबिश देकर सहायक आयुक्त व खाद्य...
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