असम, गुवाहाटी : केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की ओर से क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन आज गुवाहाटी के सोनापुर स्थित मेफेयर स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट्स के ब्रह्मपुत्र कक्ष में किया जा रहा है। रिसॉर्ट्स के ब्रह्मपुत्र कक्ष में किया जा रहा है। यह पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्रों का संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन है, जिसमें हिंदी को बढ़ावा देने के लिए चयनित विजेताओं को पुरस्कार भी दिया जाएगा। राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली ने आज गुवाहाटी के गणेशगुड़ी स्थित राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के असम क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि यह वर्ष 2024-25 का तीसरा आयोजन है। इससे पहले 4 जनवरी को मैसूरु (कर्नाटक) में पहला और 17 फरवरी को जयपुर (राजस्थान) में दूसरा क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। उन्होंने बताया कि समारोह के मुख्य अतिथि असम के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा होंगे। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, असम भाजपा अध्यक्ष एवं सांसद दिलीप सैकिया और गुवाहाटी की संसद बिजुली कलिता मेधी भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही सम्मेलन में राजभाषा विभाग की सचिव सहित बड़ी संख्या में केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों, उपक्रमों आदि के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित मौजूद रहेंगे। समारोह में इन क्षेत्रों में स्थित विभिन्न कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। साथ ही नगर राजभाषा क्रियान्वयन समितियों (नराकासों) को नराकास राजभाषा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। पुरस्कार विजेताओं को प्रमाण पत्र तथा शील्ड देकर सम्मानित किया जाएगा। कल प्रदान किए जाने वाले पुरस्कारों की कुल संख्या 48 है। इन पुरस्कारों का चयन सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से प्राप्त तिमाही प्रगति रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है। इस अवसर पर राजभाषा विभाग की विभागीय पत्रिका राजभाषा भारती के विशेषांक का तथा भारतीय भाषा अनुभाग हेतु बहुभाषी अनुवाद सॉफ्टवेयर कंठस्थ (3.0) के अल्फा संस्करण का विमोचन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कल का सम्मेलन पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों का संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन होगा। पूर्व क्षेत्र में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, अण्डमान एवं निकोबार शामिल हैं तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम, त्रिपुरा, मिजोरम, नगालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हिंदी के प्रयोग के आधार पर देश को क, ख और ग क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है और इन क्षेत्रों में संघ की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन एवं राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए देशभर में नगर राजभाषा क्रियान्वयन समितियां और राजभाषा विभाग के अधीन 8 क्षेत्रीय क्रियान्वयन कार्यालय कार्यरत हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया गया था। संघ की राजभाषा हिंदी है और लिपि देवनागरी है। राजभाषा संबंधी सांविधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने और संघ के सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए जून 1975 में राजभाषा विभाग की स्थापना गृह मंत्रालय के एक स्वतंत्र विभाग के रूप में की गई थी। उनका कहना था कि बदलते हुए समय की आवश्यकताओं के अनुसार हिंदी को तकनीकी दृष्टि से समृद्ध और व्यापक बनाने के लिए और देश की मातृभाषाओं के विस्तार व विकास के लिए राजभाषा विभाग ने कई नवाचार किए हैं। वर्ष 2021 से हर साल हिंदी दिवस पर व्यापक स्तर पर अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। विभाग की ओर सेडिजिटल शब्दकोश हिंदी शब्द सिंधु का निर्माण भी किया गया है। राजभाषा विभाग सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसी क्रम में हर वित्तीय वर्ष में देश के अलग-अलग भागों में चार क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
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