असम, गुवाहाटी : असम के जाने-माने कार्टूनिस्ट, चित्रकार और फिल्म निर्देशक पुलक गोगोई का 85 साल की उम्र में आज सुबह 8.30 बजे गुवाहाटी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जीएमसीएच) में निधन हो गया। उनका कई महीनों से इलाज चल रहा था। किडनी की गंभीर बीमारी होने के कारण उनका डायलिसिस चल रहा था। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है। नवग्रह श्मशान में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र अमिताभ गोगोई ने उन्हें मुखाग्नि दी। गौरतलब है कि आधुनिक समकालीन कला के मार्ग को आकार देने वाले एक रचनात्मक व्यक्ति गोगोई का जन्म 1938 में जोरहाट में हुआ था। उन्होंने बांद्रा कॉलेज ऑफ आर्ट में अपनी शिक्षा प्राप्त की। कैनवस और सेल्यूलाइट दोनों पर पकड़ रखने वाले गोगोई तेल और ऐक्रेलिक के माध्यम से कैनवस को एक नया आयाम दिया। मुंबई में जहांगीर आर्ट गैलरी, कोलकाता में ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में ललित कला अकादमी, वाशिंगटन होजेस गैलरी और असम एवं मेघालय के विभिन्न दीर्घाओं में उनकी चित्र प्रदर्शित हुई।एक युवा कलाकार के रूप में वह कोलकाता में अपने जुनून को आगे बढ़ाना चाहते थे, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों ने उन्हें भूपेन हजारिका के साथ नौकरी की तलाश करने के लिए मजबूर किया। एक फिल्म स्टूडियो में अंशकालिक काम पाने में भूपेन दा ने उनकी मदद की। हालांकि वह अधिक समय वहां नहीं रुक पाए और वापस गुवाहाटी लौट आए। उन्हें असम का पहला राजनीतिक कार्टूनिस्ट माना जाता है। उन्होंने 1963 और 1964 के बीच एक असमिया साप्ताहिक असम वाणी में एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद वे दैनिक असम से जुड़ गए। उन्होंने 1967 में असम में अपनी तरह क पहला कार्टून पत्रिका का प्रकाशन एवं संपादन शुरू किया। यह पत्रिका पांच साल तक चला। उन्होंने भूपेन हजारिका के सहायक के रूप में भी काम किया, जिन्होंने 1967 से 1972 तक असमिया पत्रिका आमार प्रतिनिधि का संपादन किया। वह सादिन, अबिकल और अन्य प्रकाशनों के लिए एक स्वतंत्र राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में काम करते रहे।गोगोई ने 1974 में अपनी पहली फिल्म खोज के साथ फिल्म निर्माण में कदम रखा। उनकी फिल्मों में श्रीमती महिमामयी (1978), सादरी (1983), सेंदूर (1984), सूरुज (1985), रेलर अलीर दुबरी वन (1993), मरम नदिर गाभरू घाट (1999) पत्नी (2003) और मुमताज (2013) शामिल हैं।। उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं। इनमें से एक फिल्म ने 1993 में सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और 2014 में सर्वश्रेष्ठ असमिया फिल्म के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार जीता। उन्होंने मुमताज के लिए 2013 में असमिया फिल्म श्रेणी में प्राग सिने पुरस्कार का सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार हासिल किया। उन्होंने फिल्मों के अलावा धारावाहिक एवं वृत्तचित्र का भी निर्माण किया। 2016 में उन्होंने गुरुजी आद्या शर्मा पुरस्कार भी जीता। ललित कला में उनके योगदान को देखते हुए राज्य सरकार ने 2017 में उन्हें प्रतिष्ठित कलागुरु विष्णु प्रसाद राभा पुरस्कार से सम्मानित किया।
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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