असम, गुवाहाटी : असम में पति-पत्नी में बढ़ती अनबन की वजह से न केवल रिश्तों में दरार आ रही है बल्कि पारिवारिक ताना-बाना भी तेजी से बिगड़ रहा है। पारिवारिक अदालत में तो जैसे तलाक मांगने या विवाद के आरोप वाले याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि राज्य में पिछले साल सिर्फ 10 महीने में पारिवारिक अदालत में 5,141 मामले दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा पिछले 4 सालों में सर्वाधिक है। पिछले चार साल के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पारिवारिक विवादों में तेजी से इजाफा हुआ है। राज्य के सात पारिवारिक अदालत में पिछले साल 1 जनवरी से 31 अक्टूबर तक 5,141 मामले दर्ज किए गए थे। इसके अलावा अक्टूबर महीने तक 7,901 मामले लंबित भी हैं। इस अवधि के दौरान 6,092 मामलों का निपटारा किया गया है। 2021 में जहां 3,935 मामले दर्ज किए गए, वही पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में मामलों की संख्या खतरनाक दर से बढ़ी है। हालांकि लॉकडाउन अवधि के दौरान 2020 में राज्य में ऐसे मामलों की संख्या कम थी। उस साल 2,732 मामले दर्ज किए गए थे। 2019 में यह संख्या 5,574 थी। दो साल के लॉकडाउन के दौरान अदालत में लंबित मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है। आंकड़ों के अनुसार 2019 में अदालतों में 7,364 मामलों का निष्पादन किया गया, जबकि 8,108 मामले लंबित रहे। 2020 में अदालत ने 1,374 मामलों का निपटारा किया, जबकि लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 10,108 हो गई। 2021 में 4,103 मामलों का निष्पादन हुआ, जबकि अनसुलझे मामलों की संख्या 9,356 तक पहुंच गई। लंबित मामले में बढ़ोतरी कोविड-19 महामारी के दौरान हुई थी और इस अवधि के दौरान दर्ज मामलों में भी कमी आई थी। हालांकि अब इसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि अब लोगों पर भौतिकतावाद हावी होता जा रहा है तथा पति पत्नी के बीच समझ या सहनशीलता की कमी के कारण विवाह विच्छेद हो रहे हैं।
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