असम, गुवाहाटी : असम विधानसभा का शरदकालीन सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा। विपक्ष के हंगामे के कारण विस अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी को सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। गौरतलब है कि प्रश्नोत्तर काल की समाप्ति के बाद ही विपक्षी सदस्यों की ओर से पेश किए गए तीन स्थगन प्रस्तावों को खारिज करने के बाद सदन के अंदर अराजक स्थिति पैदा हो गई और इसे नियंत्रित करने के लिए अध्यक्ष को सदन स्थगित करने जैसे कदम उठाने पड़े। दरअसल कांग्रेस और निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने दो प्रस्ताव पेश किए, जिसमें स्थानीय माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 3 से अंग्रेजी में गणित और विज्ञान पढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले पर चर्चा की मांग की गई। वहीं दूसरी ओर एआईयूडीएफ ने अपने प्रस्ताव में राज्य भर में चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान और बेदखल परिवारों की स्थिति पर चर्चा करने की मांग उठाई थी। अपनी पार्टी के प्रस्ताव पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने कहा कि अंग्रेजी में शिक्षा प्रदान करने के निर्णय का स्कूली बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए हमें इस पर तत्काल चर्चा करने की आवश्यकता है। कैबिनेट में लिए गए फैसले पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। उनका समर्थन निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने भी किया। उनका कहना था कि राज्य सरकार का निर्णय केंद्र के प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विपरीत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जहां मातृभाषा में सीखने पर जोर दे रही है वही दूसरी तरफ राज्य सरकार अंग्रेजी माध्यम के अलावा स्कूलों को बंद करके और विलय और समामेलन के माध्यम से भी बंद कर रही है। यहां तक कि सरकार ने प्रादेशिककरण की प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है। इसके जवाब में अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष की ओर से मिले प्रस्तावों के मुद्दे काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन उन पर चर्चा के लिए सदन को स्थगित रखने की मांग को ठुकरा दी। उनका कहना था कि इन विषयों को अन्य माध्यमों के जरिए चर्चा की जा सकती है। वही अध्यक्ष में एआईयूडीएफ के प्रस्ताव पर भी कहा कि इसकी भी चर्चा किसी अन्य माध्यम के द्वारा की जा सकती है। इसके लिए सदन का स्थगित होना आवश्यक नहीं है। अध्यक्ष के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस वामपंथी एवं निर्दलीय विधायक नाराज हो गए और उन लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर अध्यक्ष के आसन के पास जाकर हंगामा करने लगे। उन्होंने नारेबाजी भी की। सदन के अंदर शोरगुल बढ़ने लगा और हंगामे को बढ़ता देख अध्यक्ष ने 10 मिनट के लिए सदन स्थगित रखने की घोषणा की। हालांकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विपक्ष के इस रवैया पर अपना एतराज भी जताया। इसके बाद जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि सरकार सदन में मातृभाषा में शिक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है, यदि विषय को अन्य माध्यमों से उठाया जाता है। सरकार की ओर से मिले आश्वासन के बाद कांग्रेस और निर्दलीय विधायक ने अपने स्थगन प्रस्ताव वापस यह जाने की बात कही। वहीं दूसरी ओर एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से दी गई प्रस्ताव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। मामला न केवल संवेदनशील है बल्कि मानवाधिकार के उल्लंघन से भी जुड़ा हुआ है। अध्यक्ष ने फिर दोहराया कि वे इसे सभा स्थगन प्रस्ताव के बजाय किसी अन्य माध्यम से उठाए तो सरकार को चर्चा करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि एआईयूडीएफ के सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे। अध्यक्ष भी अपने बात पर कायम रहे। अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि सदन किसी भी हाल में स्थगित नहीं होगी तो नाराज एआईयूडीएफ के विधायकों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
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