असम, तिनसुकिया: असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने बाघजान के लोगों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि यह सरासर मानवाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से वे लोग मुआवजे के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं, वह बेहद ही दुर्भाग्यजनक है।
केंद्र और राज्य सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए जिस तत्परता के साथ कदम उठाने चाहिए थे वे ऐसा करने में नाकाम रहे है। यह पीड़ित लोगों के मौलिक अधिकार का हनन ही नहीं, बल्कि खुलेआम मानवाधिकार का उल्लंघन है। उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए जो उनका हक है। उन्होंने आगे कहा कि बेघर और पीड़ित लोगों की समस्याओं का समाधान करना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
ऐसे में उन्हें बिना किसी देरी के उनकी समस्याओं का हल निकाला जाना चाहिए। उन्हें न्याय न मिलना मानवाधिकार का उल्लंघन है।गौरतलब है कि असम के तिनसुकिया जिले के बाघजन तेल कुएं में पिछले साल लगी आग के स्थल से सामग्री हटाने गए आयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के कर्मचारियों को रोकने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए सुरक्षाबल को शक्ति का इस्तेमाल करना पड़ा जिससे कई पुलिसकर्मी समेत लोग जख्मी हो गए।
लोगों का कहना है कि मुआवजे की पूरी रकम मिलने के बाद ही वे स्थल से सामग्री हटाने की अनुमति देंगे। इस बारे में जानकारी देते हैंतिनसुकिया पुलिस के अधीक्षक देवजीत देउरी ने कहा की कल लगभग 200-240 लोग एकत्र हुए थे और उन्होंने एक बार फिर ओआईएल अधिकारियों को अपनी सामग्री हटाने से रोका।
कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के चलते हमें बल प्रयोग करना पड़ा। उन्होंने बताया कि दौरान छह प्रदर्शनकारी और कुछ पुलिस कर्मी घायल हो गए। पुलिस के कुछ वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। उनका कहना था कि प्रदर्शनकारियों ने जब पुलिस पर पथराव किया तो उन्हें मजबूरन हालात पर काबू पाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
उनका यह भी कहना था कि अगर मुआवजे को लेकर कोई समस्या है तू अंसतोष है या किसी को लगता है तो वह संबंधित अधिकारियों या अदालत में जा सकता है। लेकिन ओआईएल को स्थल से सामग्री हटाने में बाधा डालना समाधान नहीं हो सकता।