नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह कथित तौर पर पशुओं के इलाज में इस्तेमाल कुछ दवाओं की वजह से गिद्धों की आबादी में गिरावट के मामले की जांच करें। अदालत ने इसके साथ ही सरकार से कहा कि वह खाद्य श्रृंखला में अहम कड़ी इन पक्षियों को बचाने के लिए भी कदम उठाए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की जनहित याचिका पर केंद्र, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के साथ-साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में गिद्धों को बचाने और उनके सरंक्षण की मांग की है।
साथ ही दावा किया है कि पशुओं के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, जो गिद्धों के लिए विषैले और हानिकारक हैं। याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा अबतक इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए कदम नहीं उठाए गये हैं।