नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने केंद्र सरकार को चुनावों में एक व्यक्ति-एक सीट का नियम लागू करने का प्रस्ताव नए सिरे से भेजा है। इसके पहले 2004 में यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है, लेकिन ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। चुनावों में एक व्यक्ति एक सीट नियम लागू करने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951) में बदलाव करना होगा। वर्तमान में जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 33 (7) में मौजूद नियमों के अनुसार एक व्यक्ति दो सीटों से चुनाव लड़ सकता है।
आयोग ने 2004 में पहली बार केंद्र सरकार को एक व्यक्ति-एक सीट का प्रस्ताव भेजते हुए तर्क दिया था कि अगर एक व्यक्ति दो सीटों से चुनाव लड़ता है और दोनों जगह से जीतने के बाद एक सीट खाली करता है तो उपचुनाव कराने में फिर खर्च आता है। एक तरह से यह पैसे का दुरुपयोग है। आयोग ने इसे देखते हुए सीट छोड़ने वाले निर्वाचित उम्मीदवार को सरकार के अकाउंट में एक निश्चित रकम जमा करने के लिए नियम बनाने की सिफारिश की थी। सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ इस मुद्दे पर काम कर रहा है।
इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम के राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ता एवं टीम अन्ना के राष्ट्रीय कोर कमेटी के पूर्व सदस्य डॉ. दिव्यज्योति सैकिया एक सांसद और एक विधायक के रहते उस सीट पर उपचुनाव करवाना जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने भारत सरकार और चुनाव आयोग से मांग की कि इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द कानून भी बनाया जाना चाहिए। अब समय आ गया है कि जनता से वसूले गए टैक्स का खर्च देश के विकास एवं प्रगति के लिए किया जाना चाहिए।