राजस्थान, जयपुर: राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस में मची हलचल बरकरार है। भले ही ऊपर से सब कुछ शांत सा नजर आ रहा है लेकिन अंदर ही अंदर चिंगारी भड़क रही है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि चिंगारी को आग बनने की कोशिश को नाकाम करने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
इस बीच खबर मिली है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है। उनका आरोप था कि उनके क्षेत्र में विकास कार्यों की उपेक्षा की जा रही है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा ईमेल और डाक से अध्यक्ष को भेज दिया था।
उनके इस्तीफे से उठ रहे सवालों के बीच ही विधानसभा की 19 विभिन्न समितियों का गठन में से एक राजकीय उपक्रम समिति का उन्हें सभापति बनाया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होनेवाला है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार को अगर उनका इस्तीफा मंजूर करना होता तो शायद उन्हें यह पदवी नहीं दी जाती।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगर उनका इस्तीफा स्वीकार करना होता तो शायद उन्हें यह नहीं दी जाती। पायलट के खेमे के कई विधायक को इन समितियों में रखा गया है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है सरकार खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस रार को खत्म करना चाहते हैं। उधर पार्टी भी अंदर ही अंदर चल रहे हैं खींचतान को खत्म करने के लिए संगठन में बदलाव करने का प्रयास कर रही है।
माना जा रहा है कि पायलट को दोबारा पार्टी का कमान सौंपा जा सकता है। मौजूदा अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के स्थान पर पायलट को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि वे पहले ही जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं।