उत्तर प्रदेश, कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना की चौथी लहर 22 जून से दस्तक दे सकती है। 23 अगस्त के करीब यह अपने चरम पर होगा और 22 अक्तूबर तक इसकी रफ्तार पूरी तरह धीमा पड़ जाएगा। हालांकि अभी इस दावे पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने अपनी मुहर नहीं लगाई है। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट उनकी नहीं है। इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
आईआईटी के गणित व सांख्यिकीय विभाग के वैज्ञानिकों ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर कोरोना की चौथी लहर को लेकर आकलन किया है। उन्होंने कहा कि यह आकलन उन्होंने इस आकलन पहली लहर से लेकर अब तक के आंकड़ों का डाटा तैयार कर अध्ययन किया है।
उनके मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर पता चला कि भारत में कोरोना की चौथी लहर प्रारंभिक डेटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में जिम्बाबे में चौथी लहर शुरू हो गई है। इस वजह से जिम्बाबे के डाटा को आधार मान कर टीम ने गासियन वितरण मिश्रण प्रणाली का प्रयोग कर भारत में चौथी लहर का आकलन किया है।
चौथी लहर के पीछे और क्या वजह हो सकती है। क्या कोरोना पाबंदियों को ढील देने में किसी तरह की लापरवाही की जा रही है। क्या जल्दबाजी में फैसला लिया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें कोरोना के खिलाफ टीकाकरण और कोविज अनुरूप व्यवहार को सख्ती से पालन करने की जरूरत है।