पंजाब, जालंधर : पंजाब के किसानों पर दोहरी मार इस बार पड़ेगी। बेमौसमी बारिश से जहां दूसरी फसलों को नुकसान हुआ है, वहीं, धान की गैर बासमती किस्मों का दाना काला पड़ गया है। फसल खेतों में बिछने के कारण किसान इस बार बाहर के देशों में अपना चावल और सालों के बजाय कम ही भेज पाएंगे।
चावल निर्यातक खरीद से नुकसान की आशंका के चलते पीछे हटने लगे हैं। पंजाब में अब भी 65 फीसदी धान की फसल खेतों में खड़ी हुई थी कि ओलावृष्टि व बारिश से फसल खेतों में बिछ गई है। पिछले साल ही भारत ने चावल (गैर बासमती) के निर्यात के मामले में भी 132 फीसदी की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की थी।
एक बार फसल गिरने के बाद उठती नहीं है, ऐसे में चावल के दाने खराब होने आशंका रहती है। दूसरा फसल गिरने से प्रति एकड़ उत्पादन भी कम होता है। इस बार अक्तबूर में अधिक बारिश होने का असर धान पर बुरी तरह से हुआ है और चावल का रंग हलका काला होने की आशंका है। इसके साथ ही मिलिंग में भी चावल टूटता है।
इसका असर चावल के स्वाद और गुणवत्ता पर पड़ेगा। चावल का निर्यात करने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है कि खाड़ी देशों में तो पंजाब के चावल की बंपर डिमांड है, लेकिन बारिश ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया है। अगर दाना खराब निकला तो निर्यात नहीं होगा और क्वालिटी चेक में ही बाहर हो जाएगा।