असम, गुवाहाटी : असम के चिरांग जिले के बिजनी के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 21 साल बाद डायन हत्या के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर के अंधविश्वास विरोधी नेता एवं मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने इस ऐतिहासिक निर्णय पर संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि बांडुगुरी गांव में जादू टोना के सभी आरोपियों को कल सुनाए गए सजा को ऐतिहासिक कहा जा सकता है।
अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने आगे कहा कि भले ही फ़ैसले में बहुत देर हो चुकी हो, लेकिन प्रताड़ित मासूम परिवार न्याय पाने में कामयाब रहे हैं।वर्ष 2008 से जादू टोना के नाम पर अत्याचार और हत्याओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने के लिए लंबे तक संग्राम चलाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में असम वाइट्स हंटिंग पीपीपी एक्ट 2015 नामक एक सख्त कानून बनाया है। इसी का नतीजा है कि अदालत ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
सैकिया ने आगे कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए घटनाओं को अंजाम देने वाले को अदालत के फैसले के परिणामस्वरूप निकट भविष्य में जादू टोना के नाम पर इस तरह के जघन्य कृत्य करने की हिम्मत नहीं करेंगे। उन्होंने सरकार से कानून के बारे में प्रचार करने का आह्वान किया है। गौरतलब है कि 21 साल पहले बांडुगुरी गांव में डायन के नाम पर जघन्य हत्याकांड हुआ था। जादू टोना के नाम पर एक ही परिवार के तीन सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस जघन्य घटना में 12 लोग शामिल थे। आखिरकार 21 साल बाद इस जघन्य कृत्य में शामिल सभी लोगों को सजा मिली। एक ही परिवार के गांगुली बसुमतारी, मालाराम बसुमतारी और पानीराम बसुमतारी की 21 साल पहले डायन के नाम पर हत्या कर दी गई थी।