गुवाहाटी। इस्लाम धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा त्यौहार ईद उल फितर आज दूसरे साल भी कोरोना के साए में मनाई गई। लोगों ने ईदगाह या मस्जिदों के बजाय घरों में ही नमाज अदा की। गौरतलब है कि पाक ए रमजान का आखिरी रोजा कल खत्म होने के साथ चांद का दीदार भी हुआ था।
इस बात की पुष्टि केंद्रीय हिलाल कमेटी की प्रदेश इकाई अध्यक्ष एवं सदर ए काजी फखरुद्दीन अहमद कासमी ने की थी। राज्य सरकार ने भी कोविड-19 महामारी को देखते हुए दिशा निर्देश जारी किए हैं। लोग भी आज दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए ईद की नमाज घर में ही अता की। वैसे तो ईद के दिन लोग नमाज अता करने के साथ ही एक- दूसरे को ईदी बांटते हैं, सेवइयां खिलाते हैं, गले मिलते हैं।
इसके अलावा लोग अपनों को ईद की मुबारिकबाद भी देते हैं। लेकिन कोरोना संकट में उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ईदगाह और मस्जिदों में नमाज न होने से सन्नाटा पसरा हुआ नजर आया। इस मौके पर फितरा और जकात का बहुत महत्व है। जकात को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है। मालूम हो कि सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को 15 दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया है।
ऐसे में लोग मस्जिद या ईदगाह के बजाय घर के अंदर ही परिवार के साथ इबादत करते नजर आए। वही उलेमाओं ने भी मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे ईद की नमाज घरों में ही पढ़ें और कोविड-19 महामारी के बीच मस्जिद जाने से बचें। मुस्लिम समाज के लोग घरों में मिठी सिवैयां बनाकर ईद का त्योहार मनाया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भी ईद का त्योहार घर पर ही नमाज अता कर मनाया गया।
नमाज में कोरोना संक्रमण से जल्द निजात पाने की दुआ की गई। अपनों की जान बचाने और समाज को सुरक्षित रखने के लिए सभी लोगों ने मिलकर नमाज अता करते हुए दुनियाभर में अमन और चैन की दुआ मांगी। कई स्थानों पर गरीबों के बीच जरूरी सामग्रियां भी बांटी गई।