असम, गुवाहाटी : गौहाटी उच्च न्यायालय ने आज असम सरकार से पिछले साल मई से राज्य में हुई पुलिस मुठभेड़ों की जांच में हुई प्रगति के बारे में विवरण मांगा। मुख्य न्यायाधीश आर.एम. छाया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राज्य को यह बताने को कहा कि क्या मुठभेड़ मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन किया गया है। अदालत ने राज्य को विवरण दाखिल करने के लिए 60 दिन का समय दिया है। अदालत ने निर्देश दिया राज्य प्रत्येक मामले में हुई प्रगति को दर्शाने वाली उपयुक्त सामग्री को रिकॉर्ड में लाए और यह भी इंगित करे कि क्या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2014 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य के मामले में जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं। अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिये 29 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया। महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने संवाददाताओं से कहा अदालत ने मामले में कुछ और विवरण मांगा है। हमने इसे पेश करने के लिए समय मांगा है और हमें इसकी अनुमति दी गई है। अधिवक्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर ने पुलिस हिरासत में मौत और घायल होने के बढ़ते मामलों पर संदेह जताते हुए जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में असम सरकार के अलावा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), राज्य के कानून एवं न्याय विभाग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और असम मानवाधिकार आयोग को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है।
राज्य सरकार ने 20 जून को एक हलफनामे में उच्च न्यायालय को बताया था कि मई 2021 से इस साल मई के बीच पुलिस कार्रवाई से संबंधित 161 घटनाएं हुई हैं। इन कार्रवाई के कारण पुलिस हिरासत में 51 लोगों की मौत हो गई और 139 अन्य घायल हो गए। सरकार ने दावा किया कि इन सभी मामलों की जांच उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक हुई है।
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