हरियाणा, सोनीपत : पुलिस हिरासत में कैदी की मौत की स्थिति में सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती। कैदी की सुरक्षा के लिए सरकार जिम्मेदार है और उसके आश्रित मुआवजे के हकदार हैं। यह टिप्पणी करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मृतक की आश्रित पत्नी को मुआवजे के रूप में 6 लाख 15 हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है। याचिका दाखिल करते हुए सोनीपत निवासी सविता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके पति विकास को हत्या के प्रयास मामले में 2015 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद विकास ने अपने भाई वेदपाल को बताया था कि उसकी जान को खतरा है। उसने सीजेएम कोर्ट में सुरक्षा के लिए गुहार भी लगाई थी। सीजेएम नेे जील अधीक्षक को उचित व्यवस्था करने का आदेश दिया था। 11 मार्च 2016 को जब पुलिस विकास को ट्रायल के लिए कोर्ट लाई तो अचानक कुछ लोगों ने विकास को गोली मार दी और उसकी मौत हो गई। याची ने हरियाणा सरकार से मुआवजे केरूप में 30 लाख रुपये दिलाने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। हरियाणा सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची की हिरासत में मौत हुई है लेकिन यह किसी प्रताड़ित करने की घटना के कारण नहीं हुई है। याची अपराधी था और उसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज थी। यह उसके खुद के किए का नतीजा था कि उसे गोली मार दी गई। हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि दो लोगों के बीच का मामला है यह कह कर सरकार जीवन और सुरक्षा के संविधान के दिए अधिकार का किसी को छीनने का अधिकार नहीं दे सकती। किसी को जेल में कोर्ट के आदेश पर भेजा जाता है और इसके साथ ही कैदी की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी हो जाती है जिससे सरकार भाग नहीं सकती। हाईकोर्ट ने अब हरियाणा सरकार को याचिकाकर्ता को 6 लाख 15 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर जारी करने का आदेश दिया है।
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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