गुवाहाटी: अगर अल्फा स्वाधीन के सेनाध्यक्ष परेश बरुवा वार्ता की मेज पर आने की पहल करते हैं तो केंद्र सरकार भी इस संदर्भ में निःसंदेह सकारात्मक पहल करेगी। यह कहना है मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा का।
गुवाहाटी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर अल्फा स्वाधीन राज्य की शांति, समृद्धि के लिए वार्ता में आने की इच्छा प्रकट करता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी सही दिशा में पहल करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि वार्ता में राज्य सरकार की भूमिका सीमित होती है, वार्ता केंद्र के साथ ही संभव है।
हाल ही में अल्फा स्वाधीन द्वारा कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए तीन महीने के लिए सीजफायर की घोषणा की गयी थी, जिस पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए इसका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि तीन महीने के सीजफायर को वे आगे भी जारी रहते देखना चाहते हैं। मौके पर ओएनजीसी के अपहृत कर्मचारी रितुल सैकिया को रिहा करने को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने अल्फा स्वाधीन के सेनाध्यक्ष परेश बरुवा से भावनात्मक अपील की।
हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि रितुल सैकिया सामान्य परिवार से ताल्लुक रखता है। बड़े परिश्रम से वह अपने परिवार को चला रहा था। उन्होंने कहा कि अगर परेश बरुवा रितुल सैकिया के घर के परिवेश को देखेंंगे तो उनके भी आंखों में आंसू आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हाल ही में वे रितुल सैकिया के घर गये थे, इस दौरान जो परिवेश उन्हें देखने को मिला वह दर्दनाक है।
बूढ़े मां-बाप अपने बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं पत्नी और उनके छोटे बच्चे के आंखों में पति और पिता की कमी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल अल्फा स्वाधीन ने क्विपो के दो कर्मचारियों का अगवा कर लिया था, जिसके बाद अब ओएनजीसी के तीन कर्मचारिों को अगवा किया गया था, जिसमें से दो को सेना व पुलिस ने छुड़वा लिया, तीसरा रितुल सैकिया म्यांमार में अल्फा स्वाधीन के कब्जे में है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साधारण कर्मचारियों के अगवा करने से उनकी मांगें पूरी नहीं हो सकती। ऑयल और ओएनजीसी असम की आर्थिक दृष्टि से रीढ़ की हड्डी है। इस क्षेत्र को नुकसान होने से असम को काफी नुकसान होगा। इसीलिए उन्होंने कहा कि ओएनजीसी और ऑयल असम के लिए अधिक से अधिक काम करने के लिए तैयार हैं और सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनसे असम के लिए कितना काम कराया जाए।
उन्होंने कहा कि ऑयल क्षेत्र से राज्य को सालाना 14 हजार 726 करोड़ रुपये संग्रह होते हैं, जिसमें 1800 करोड़ रुपये रॉयल्टी भी शामिल है।