असम, गुवाहाटी: असम विधानसभा के बजट सत्र के आज चौथे दिन कोविड-19 टीकाकरण को लेकर मचे घमासान के बाद अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने दोपहर 3 बजे तक के लिए सदन स्थगित कर दी। नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया के कोविड-19 टीकाकरण का मुद्दा उठाते हुए कहां की टीकाकरण जिस गति से चल रहा है उससे राज्य के सभी पात्र लाभार्थियों को टीका लगाने में 18 महीने लग जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि जून से राज्य में 3000 टीका केंद्र खोले गए हैं लेकिन इन केंद्रों में लोगों को वैक्सीन नहीं मिल रही है। इस पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री केशव महंत ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम सुचारू रूप से चल रहा है और विपक्ष ने जो कुछ भी कहा है वह सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि अभी तक 30 फ़ीसदी पात्र लोगों का टीकाकरण हो चुका है और 7 फ़ीसदी लाभार्थियों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी है। नेता प्रतिपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पीके की दोनों खुराक प्राप्त करने वाले लोगों की कम दर के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इसके लिए केवल सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं नावबैचा के विधायक भरत नरह बार-बार मंत्री के बयान के दौरान टोका टोकी करने लगे।
उनका कहना था कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। सरकार के कामकाज को लेकर भी उन्होंने गहरा असंतोष भी व्यक्त किया। इस पर संसदीय कार्य मंत्री पिजुष हजारीका ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने लोगों को गुमराह नहीं किया होता तो शायद यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने टीकाकरण को लेकर दुष्प्रचार किया जिससे लोग भयभीत हुए और वैक्सीन लगाने से बचने लगे। इस पर विपक्ष उठ खड़ा हुआ और मंत्री को बयान वापस लेने की बात कही।
स्वास्थ्य मंत्री एक बार फिर मुखर हुए तो नरह और उनके बीच तीखी नोकझोंक होने लगी। मंत्री काफी गुस्से में थे और कहते सुने गए कि जो बात वह नहीं कहना चाहते थे वह संसदीय कार्य मंत्री ने कह दिया। कांग्रेस दल के सदस्यों ने राज्य में डोर-टू-डोर टीकाकरण अभियान की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष पर पलटवार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वे पहले ही स्वास्थ्य विभाग को राज्य में घर-घर जाकर टीकाकरण कराने का निर्देश दे चुके हैं।
मंत्री के बयान से असंतुष्ट कांग्रेसी नारेबाजी करने लगे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। अध्यक्ष के बार-बार अनुरोध करने पर जब हंगामा शांत नहीं हुआ तो उन्होंने सदन स्थगित करने की घोषणा कर दी।