नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार का रुख के स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता से जुड़ी कुछ याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन हैं। ऐसे में सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि राज्य सरकारें ऐसा कानून लाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि विधायी दखल से लैंगिक और धार्मिक रूप से निष्पक्ष समान कानून सुनिश्चित होते हैं। संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य (भारत) पूरे देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि पर्सनल लॉ में आने वाले विषय जैसे शादी, तलाक, वसीयत, संयुक्त परिवार एवं विभाजन, संविधान की समवर्ती सूची से संबंधित है। इसलिए, इस संबंध में राज्यों को भी कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता से जुड़े मुद्दों की समीक्षा की है।
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