मध्य प्रदेश, जबलपुर : जबलपुर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने घटना के दस माह बाद शिनाख्त परेड कराए जाने को गंभीरता से लिया है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पहचान परेड में अत्यधिक विलंब और अन्य कमियों व विसंगतियों के कारण अभियोजन पक्ष का मामला संदेहास्पद है। युगलपीठ ने अपील की सुनवाई के बाद दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। जबलपुर के गढ़ा निवासी संजू सोनकर और अमर जाट की ओर से गैंगरेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। अपील में कहा गया था कि प्रकरण के अनुसार पीड़िता 8 फरवरी 2012 को अपने चचेरे भाई के साथ शारदा मंदिर मदन महल दर्शन करने आई थी। सीढ़ियों से वापस लौट रही थी, तभी राहुल और अन्य अभियुक्त ने उन्हें रोककर पता पूछा। इसके बाद अभियुक्त उसे पहाड़ी के पीछे ले गए और उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया। इस दौरान उसका चचेरा भाई अभियुक्तों की गिरफ्त में था।युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता और उसके चचेरे भाई ने यह स्वीकार किया कि अभियुक्तों द्वारा नाक की पिन लूटने का उल्लेख एफआईआर में नहीं किया गया था। घटना के बाद चचेरे भाई ने घर वापस जाने के लिए अभियुक्तों से सौ रुपये मांगे थे।युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पहचान परेड में देरी अभियोजन पक्ष के लिए घातक है। अनुमान और संयोग के आधार पर दोषसिद्धि को बरकरार नहीं रखा जा सकता। युगलपीठ ने अपने आदेश में अपीलकर्ताओं को दोषमुक्त कर दिया।
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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