महाराष्ट्र, मुंबई : देशभर के बैंकों में सबसे ज्यादा लावारिस रकम उत्तर प्रदेश के बैंकों में जमा है। 4,580 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं हैं। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गंभीर चिंता जताई है। आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक बालू केंचप्पा ने सभी बैंकों से आह्वान किया है कि प्रत्येक जिले में अभियान छेड़कर वहां के शीर्ष 100 लावारिस रकम के जमाकर्ताओं या कानूनी उत्तराधिकारियों को तलाशें और तीन महीने में रकम लौटाएं। नियमों के मुताबिक दस साल तक लेनदेन न करने वाले बचत और चालू खातों में जमा रकम को लावारिस धन माना जाता है। ऐसी फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी), जिसके परिपक्व होने के दस साल बाद भी कोई दावा नहीं करे तो उसे भी लावारिस धन की श्रेणी में रखा जाता है। वर्ष 2020-21 में बैंकों में लावारिस धन 39,264 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2021-22 में ये राशि बढ़कर 48,262 करोड़ रुपये हो गई। पिछले साल सर्वाधिक लावारिस धन तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में जमा था। इसमें उत्तर प्रदेश का नाम नहीं था। इस साल उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर काबिज हो गया है। उधर आरबीआई मुंबई मुख्यालय ने प्रदेश के सभी जनपदों को सौ फीसदी डिजिटल करने के निर्देश दिए हैं।
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