बिहार, आरा: विश्व के मानस पटल पर अपनी भाषा के विभिन्न कलाओं को लाने एवं इसके विकास और समृद्धि के लिए हम हर तरह के संघर्ष के लिए तैयार हैं। उपरोक्त बातें वरिष्ठ लोक कलाकार नागेन्द्र नाथ पांडेय ने भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा भोजपुरी चित्रकला को राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित करने के लिए किए जा रहे आरा रेलवे स्टेशन पर आंदोलन के 31वें दिन कही।
मंच संचालन करते हुए रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि भोजपुरी हमारी मातृभाषा है। जीवित व्यक्ति वही है, जिसे अपनी मातृभूमि और मातृभाषा पर गर्व हो। वरिष्ठ चित्रकार सुरेश कुमार पांडेय ने कहा कि हर भाषा भाषी लोगों की अपनी चित्रशैली होती है। रंगकर्मी संतोष कुमार तिवारी ने कहा कि भोजपुरिया लोगों की यह मांग सर्वथा उचित एवं प्रासंगिक है।
रंगकर्मी संजय नाथ पाल ने कहा कि हम रंगमंचीय कलाकार, साहित्यकार आदि हजारों वर्षों से पारंपरिक रूप से बनाई जा रही लोकचित्रकला के लिए मांग कर रहे हैं, जो हमारी जायज और आजीविका से संबंधित बिंदुओं को देखकर सर्वथा उचित है। रंगकर्मी रविंद्र भारती ने कहा कि आनेवाली पीढ़ियां अपनी लोकचित्रकला को देखकर गौरान्वित महसूस करेंगी।चित्रकार निक्की कुमारी ने कहा कि भोजपुरी चित्रकला में महिलाओं में अंतर्निहित सकारात्मक भावनाएं कुचियों के माध्यम से परिलक्षित होती हैं।
चित्रकार गुड़िया कुमारी ने कहा कि यह आंदोलन हम कलाकारों की एकजुटता और साहस को दिखाता है।चित्रकार रूपा कुमारी ने कहा कि हम सम्मानजनक समझौते तक इस आंदोलन को जारी रखेंगे। चित्रकार शालिनी कुमारी ने कहा कि हम युवाओं के लिए यह रोजगार का वह क्षेत्र है, जहां हम आजीवन रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
रंगकर्मी किशन सिंह ने कहा कि रेलवे प्रशासन द्वारा किया जा रहा यह व्यवहार कलाकारों का अपमान नहीं, अपितु भोजपुरी भाषी लोगों का अपमान है। रंगकर्मी रतन देवा ने कहा कि भोजपुरी भाषा के लोकसंगीत, लोकनाट्य और लोक चित्रकला को अन्य भाषायी कलाओं की तरह महत्व दे। पूर्व वार्ड पार्षद डॉ. जितेन्द्र शुक्ला ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि आगे आएं और हमारी मांगों को उचित स्थान पर उठायें।चित्रकार विजय मेहता ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति को बचाने का ठोस कार्य होना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने कहा कि यह महज एक आंदोलन नहीं, बल्कि रोटी के लिए संघर्ष है।सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर मिश्र ने कहा कि हमारी मातृभाषा और संस्कृति को अपमानित किया जा रहा है। वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक मानव की बातों से संपूर्ण माहौल भावुकता से भर गया, जब उन्होंने यह कहा कि हर दिन हम आंतरिक रूप से और मजबूत होते जा रहे हैं। हमें दुःख तो इस बात का है कि सक्षम लोग हमारी भावना और आवश्यकता को समझ ही नहीं रहे।
भोजपुर के ही राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्राप्त तीन वरिष्ठ लोक कलाकारों ने भी आज आकर आंदोलन में अपना समर्थन व्यक्त किया। आज के जनता से संवाद कार्यक्रम को सफल बनाने में रंगकर्मी संजय सिंह,मनोज़ श्रीवास्तव, संजय कुमार सिंह, बबलू सिंह, ओ पी पांडेय, पप्पू गुप्ता, डॉ. पंकज भट्ट का सराहनीय योगदान दिया।