नई दिल्ली : जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का पार्थिव शरीर आज अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली के छतरपुर में उनके आवास पर रखा गया है। गृहमंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। गौरतलब है कि कल रात उनका उनका 75 साल की उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने रात पौने 11 बजे सोशल मीडिया पर उनके निधन की जानकारी दी। शुभाषिनी ने ट्वीट में लिखा पापा नहीं रहे’। शरद लंबे से किडनी से जुड़ी समस्याओं से परेशान थे। उनको डायलिसिस दिया जा रहा था। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें गुरुवार को अचेत अवस्था में फोर्टिस में आपात स्थिति में लाया गया था। मध्य प्रदेश के बाबई तहसील के आंखमऊ गांव में कल उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मालूम हो कि उनका जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ था। वे पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया था। उन्होंने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था। नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद उन्होंने जदयू का साथ छोड़ दिया था। वो बिहार की मधेपुरा सीट से कई बार सांसद रह चुके थे। वे डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से बहुत प्रेरित थे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं, वे निशा के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में जेल भी गए। सक्रिय राजनीति में उन्होंने साल 1974 में कदम रखा था, तब वे पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। वे कुल सात बार यूपी एमपी और बिहार से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे। शरद यादव ने अपनी खुद की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल शुरू की थी। मार्च 2020 में उन्होंने लालू यादव के संगठन राजद में विलय कर लिया। उन्होंने कहा था कि एकजुट विपक्ष की ओर पहला कदम था।
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