नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व तथा केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की समस्याओं के समाधान के लिए समय समय पर विभिन्न कदम उठाता रहा है। इनमें सीआरपीसी एक्ट में धारा 436ए को शामिल करना और एक नया अध्याय XXIए प्ली बार्गेनिंग जोड़ना आदि शामिल हैं। विभिन्न स्तरों पर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब कैदियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के लिए कि बजट का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे, बजट की प्राथमिकताओं में से एक है, मार्गदर्शक, सप्तर्षि, अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना, इसके तहत एक घोषणा है, गरीब कैदियों को समर्थन। इसमें उन गरीब व्यक्तियों को आवश्यक वित्तीय सहायता का प्रावधान है जो जेलों में हैं और जुर्माना या जमानत राशि वहन करने में असमर्थ हैं। यह गरीब कैदियों को, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या कम शिक्षित और निम्न आयस्तर वर्ग से हैं, जेल से बाहर आने में सहायक सिद्ध होगा।
योजना की व्यापक रूपरेखा को संबंधित हितधारकों के परामर्श से अंतिम रूप दिया गया है, जिसके तहत भारत सरकार, उन गरीब कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जो आर्थिक तंगी के कारण जुर्माना नहीं चुका पाने की वजह से जमानत या जेल से रिहा होने में असमर्थ हैं।
प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए और गरीब कैदियों तक लाभ की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान अमल में लाए जाएंगे; ई-प्रिज़न प्लेटफार्म को सशक्त बनाया जाएगा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मजबूत किया जाएगा और जरूरतमंद गरीब कैदियों आदि को गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों को सेन्सिटाइज़ और उनका क्षमता निर्माण किया जाएगा। कारागार आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं औरĺ कानून के प्रभाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गृह मंत्रालय समय-समय पर विभिन्न एडवाइजरी के माध्यम से राज्य सरकारों के साथ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों को साझा करता रहता है। गृह मंत्रालय जेलों में सुरक्षा ढांचे को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है।
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