नई दिल्ली : बढ़ती उम्र के साथ हृदय स्वास्थ्य कमजोर होना और इससे जुड़ी समस्याएं होना एक आम बात है। लेकिन आज कम उम्र में ही हृदय संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही है। इसके अलावा हाई बीपी और कोरोनरी धमनी रोग जैसी समस्याओं सा का भी सामना करते हैं, जो हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार प्रमुख जोखिम कारकों में शामिल हैं। मोटापा, डायबिटीज और नींद से जुड़ी स्थितियों को भी हृदय रोगों के साथ जोड़ा गया है। हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है, जिसमें हमारा हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है। ऐसा तब होता है, जब हृदय शरीर में पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाता है। समय के साथ हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से हृदय अपना कार्य करना बंद कर देता है। खराब खानपान और जीवनशैली की खराब आदतों के चलते कम उम्र में ही हार्ट फेलियर जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण लोगों की मृत्यु के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अच्छी बात यह है कि अगर समय रहते हृदय रोगों का पता चल जाए, तो हार्ट फेलियर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके कुछ लक्षणों में हार्टबीट का तेज होना, सांस लेने में परेशानी, गले में खराश और घरघराहट होना, मतली, वजन बढ़ना, भ्रमित और बहुत थकान महसूस होना शामिल है। अगर आप इन लक्षणों को अक्सर देखते हैं तो डॉक्टर के पास जाने में बिल्कुल भी देरी न करें। इससे आप किसी गंभीर स्थिति से बच सकते हैं।
बाजाशेयरर रहा बंद
नई दिल्ली : इस्लाम धर्म लंबियों का पवित्र त्योहार ईद उल फितर के मौके पर आज नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)...
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