नई दिल्ली : इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे तो चंद्र ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, लेकिन पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चंद्रमा पर ग्रहण लगता है। ऐसे में चंद्र देव पर आए इस संकट के काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान तमाम तरह की नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं, जिससे हमारे आसपास की हर चीज प्रभावित होती है। यही वजह है कि इस दौरान पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं किए जाते हैं। ग्रहण के समय मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। साथ ही कई लोगों का मानना है कि ग्रहण के दौरान चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान चंद्र दर्शन से नाकारत्मक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। यह चंद्र ग्रहण रात 1 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगा और 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। भारत में इस ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 16 मिनट की होगी। साल के अंतिम चंद्र ग्रहण को भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया, हिंद महासागर, अटलांटिक, दक्षिणी प्रशांत महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा।दूसरे चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 4 बजकर 5 मिनट से शुरू हो जाएगा। सूतक काल को अशुभ माना जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के शुरू होने से करीब 09 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस अवधि के दौरान किसी भी तरह का कोई शुभ काम या पूजा-पाठ करना वर्जित होता है।
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