नई दिल्ली : देश में बीते पांच सप्ताह से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में नया उप स्वरूप जेएन.1 पाया जा रहा है, लेकिन अब इसके प्रसार में वृद्धि हुई है। बीते एक सप्ताह में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आए मरीजों के सभी नमूना में यह नया उप स्वरूप मिला है, जो वर्तमान में दुनिया के 40 से अधिक देशों में संक्रमण को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही देश के 11 राज्यों में कोरोना बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले महीने नवंबर में जीनोम सीक्वेंस के दौरान देश के पहले चार जेएन.1 संक्रमित मामले सामने आए, लेकिन इस महीने 17 मरीजों में यह स्वरूप पाया गया। कुल आठ नमूनो की जीनोम सीक्वेंसिंग में सभी जेएन.1 से संक्रमित मिले, जबकि इससे पहले के सप्ताह में 20 फीसदी और 50 फीसदी नमूनो में यह पाया गया। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक विभागाध्यक्ष डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि जेएन.1 उप स्वरूप की आर वैल्यू ओमिक्रॉन से ज्यादा देखी जा रही है। इसका मतलब है कि एक से दूसरे या फिर तीसरे व्यक्ति तक संक्रमण प्रसार की क्षमता अधिक है, लेकिन गंभीरता के मामले में यह उतना ताकतवर नहीं है, जितना बीते वर्षों में था। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कोविड टास्क फोर्स के सह अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया कि जेएन.1 उप स्वरूप को लेकर कई चिकित्सा अध्ययन सामने आए हैं, जिनसे जाहिर है कि यह बहुत अधिक गंभीर स्वरूप नहीं है, लेकिन यह तेजी से लोगों को अपनी चपेट में जरूर ले सकता है।
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